कंगना रनौत केस में हाई कोर्ट ने बीएमसी को फिर लगाई फटकार, कहा- दूसरे मामलों में भी तेजी दिखाते तो मुंबई होता बेहतर शहर

कंगना रनौत के दफ्तर में तोड़फोड़ को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को एक बार फिर बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को फटकार लगाई। कोर्ट ने बीएमसी पर तंज कसते हुए कहा कि कई मामलों में आदेश के बाद भी ऐसा नहीं किया गया। बीएमसी इतनी तेजी दिखाती तो मुंबई रहने के लिए और बेहतर शहर होता। कंगना के वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि बीएमसी की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। कंगना के वकीलों की जिरह पूरी हो गई है। लंच के बाद 2:30 बजे एक बार फिर सुनवाई शुरू होगी।

गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत केस में काफी मुखर रहीं कंगना रनौत ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से कर दी थी। इसको लेकर शिवसेना से उनकी ठन गई। शिवसेना नेता संजय राउत सहित कई नेताओं ने उन्हें मुंबई नहीं आने के चेतावनी दी थी। हालांकि, केंद्र से Y+ कैटिगरी की सुरक्षा मिलने के बाद 9 सितंबर को कंगना रनौत मुंबई पहुंचीं, लेकिन उसी दिन बीएमसी ने उनके दफ्तर में जेसीबी ले जाकर तोड़फोड़ की थी।

कंगना रनौत बीएसी की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट गईं और उन्होंने पहले 9 सितंबर को स्टे की मांग की थी। बाद में उन्होंने तोड़फोड़ से हुए नुकसान को लेकर 2 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा।

इससे पहले 25 सितंबर को हुई सुनवाई में बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी से पूछा था कि क्या अवैध निर्माण को गिराने में वह हमेशा इतनी ही तेजी दिखाती है जितनी कंगना रनौत का बंगला गिराने में दिखाई? हाई कोर्ट ने बीएमसी को यह बताने को कहा है कि आखिर कंगना रनौत के खिलाफ कार्रवाई कानून के उन प्रावधानों के तहत क्यों नहीं की गई जिसमें कॉर्पोरेशन को आरोपों का जवाब देने के लिए कंगना को पर्याप्त समय दिया जाता।

बेंच ने यह भी कहा कि प्रदीप थोराट के क्लाइंट (शिव सेना के संजय राउत) ने वास्तव में वही किया जो उन्होंने कहा, यह शिवसेना के मुखपत्र सामना के लेख के शीर्षक के संदर्भ में था, ‘उखाड़ दिया।’ यह लेख कंगना रनौत के पाली हिल बंगले के हिस्से को गिराए जाने के बाद 9 सितंबर को प्रकाशित हुआ था।

बेंच ने बीएमसी को यह भी बताने को कहा कि उसने ग्राउंड फ्लोर पर तोड़फोड़ क्यों कि जब वहां कोई काम नहीं चल रहा था। कोर्ट की ओर से यह टिप्पणी और निर्देश कंगना रनौत के वकील की ओर से यह बताने के बाद आया कि बीएमसी ने रनौत के बंगले में तोड़फोड़ के लिए मुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की धारा 354 (ए) का इस्तेमाल किया, जो निर्माणाधीन साइटों से संबंधित है।

वरिष्ठ वकील बिरेंद्र सराफ ने दो जजों की बेंच को बताया कि परिसर में कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा था जब बीएमसी स्टाफ ने 5 और 7 सितंबर को अवैध निर्माण मिलने का दावा किया। कोर्ट ने बीएमसी को उस मुकादम का फोन भी जमा कराने को कहा है कि जिसने कंगना रनौत के बंगले में 5 सितंबर को अवैध कब्जे का पता लगाया ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उस अवैध निर्माण की कोई तस्वीर ली गई थी। बताया गया है कि इसी रिपोर्ट के आधार पर बीएमसी टीम 7 सितंबर को निरीक्षण के लिए पहुंची थी।

कंगना रनौत ने हाई कोर्ट से कहा था कि उनके पास सबूत के तौर पर तस्वीरें हैं जो उनके दावे को मजबूत करते हैं कि बीएमसी की ओर से अवैध कहे जा रहे निर्माण को 2019 में पूरा कर लिया गया था। इन्हें जनवरी 2020 में ली गई तस्वीरों से साबित किया जा सकता है। तस्वीरें परिसर में हुई पूजा के दौरान ली गई थीं।

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