मीडिया माफ़िया के खिलाफ युवा पत्रकारों के आंदोलन को अब पूरे भारत का साथ मिल रहा है. युवा पत्रकारो द्वारा शुरू किए गए इस मुहिम में अब लोग मीडिया माफ़िया के खिलाफ़ हल्ला बोल कर रहे है.

इसी कड़ी में रविवार को मीडिया माफ़िया के खिलाफ़ आंदोलन के फेसबुक पेज पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रचलित छात्र नेता शुभम तिवारी ने कई चौकाने वाले खुलासे किए आपको बता दे कि शुभम तिवारी और उनके सहयोगियों के नेतृत्व में कुछ दिन पहले काशी हिंदु विश्वविद्यालय में संस्कृत शिक्षक फ़िरोज खान के धर्म पढ़ाने के विरोध में छात्रों ने आंदोलन किया था.

मीडिया माफ़िया आंदोलन का सहयोग करते हुए शुभम ने बताया कि आंदोलन के वक्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के धर्म संकाय के विद्यार्थियों की इतनी ही मांग थी कि फ़िरोज खान धर्म ना पढ़ाये उनके संस्कृत पढ़ाए जाने से छात्रों को कोई विरोध नही था. आंदोलन को कवर करते वक्त कई राष्ट्रीय मीडिया ने छात्रो के आंदोलन को हाईजैक कर लिया और बिना बात को समझे आंदोलन को मजहबी रंग दे दिया. छात्रों की इस बात को लेकर राष्ट्रीय मीडिया ने बदनामी की और बाद में विश्वविद्यालय ने छात्रों को सही ठहराते हुए अपने निर्णय को वापस लिया.

मीडिया माफ़िया आंदोलन द्वारा आयोजित लाइव में शुभम तिवारी ने बताया कि मीडिया वालों ने छात्रों को बहुत परेशान किया उनके सवाल प्रोपेगेंडा से प्रेरित होते थे. आंदोलन के दौरान मीडिया माफ़िया का असली रंग छात्रो को देखने को मिला.

अपने लाइव के दौरान शुभम तिवारी ने बताया कि आज के दौर में मीडिया प्रोपेगेंडा से प्रेरित है और अपने- अपने विचारधारा को फैला रही है. मीडिया से लोगो का विश्वास उठ रहा है. आज की मीडिया पत्रकारिता से अधिक दलाली में व्यस्त है जनसरोकार के मुद्दों को ठंडे बस्ते में रख दिया है.

शुभम तिवारी ने उन सभी युवा पत्रकारों की प्रशंसा की जो मीडिया के सफाई में लगे है और पानी मे रहकर मगरमच्छ से बैर कर रहे है. मीडिया में रहते हुए जो मीडिया कर्मी मीडिया माफ़िया के खिलाफ़ और सच्चाई के लिये लड़ रहे है उन सभी को साधुवाद दिया.