प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले एक साल के कार्यकाल में लिए गए बड़े और निर्णायक फैसलों के बाद इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से होने वाले उनके संबोधन पर देश और दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। चीन के साथ विवाद और कोरोना संकट में आत्मनिर्भर भारत की भावी कार्य योजना के साथ कुछ नए मिशन सामने आ सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री का इस बार का स्वतंत्रता दिवस संबोधन पिछले संबोधनों से हटकर होगा। इसकी एक वजह कोरोना महामारी से उपजे हालात और पड़ोसी देशों से चल रहे तनावपूर्ण रिश्ते हैं। ऐसे में देश आत्मनिर्भरता के अपने एजेंडे के साथ पड़ोसियों के साथ अपनी नीति की परोक्ष रूप से समीक्षा भी कर रहा है। अगला एक साल देश को भीतर और बाहर दोनों मोर्चों पर मजबूत करने का होगा, जिसमें संसाधन और सुरक्षा दोनों सरकार के एजेंडे के केंद्र में है। सूत्रों की मानें तो स्वतंत्रता दिवस संबोधन से पहले सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों से व्यापक राय व जानकारी जुटाई है।
भाजपा की नजर तीसरे एजेंडे पर
दूसरी तरफ भाजपा की भावी राजनीति के लिए भी आने वाला साल महत्वपूर्ण होगा। पिछले एक साल में सरकार ने भाजपा और संघ परिवार के दो बड़े एजेंडे कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करने का काम किया है। अब भाजपा के तीसरे बड़े मुद्दे समान नागरिक संहिता की बारी है। भाजपा नेताओं को लगता है कि लाल किले की प्राचीर से भले ही प्रधानमंत्री के संबोधन में इसका जिक्र न हो लेकिन इस तरह के संकेत हो सकते हैं जिससे मौजूदा हालात में राष्ट्रीय एकता और अखंडता की मजबूती की तरफ सरकार कदम बढ़ा सकती है।
संवैधानिक दायरे में काम
भाजपा के एक बड़े नेता ने कहा है कि हमारा एजेंडा जो भी रहा हो लेकिन हम सभी काम संवैधानिक तरीके से और पूर्ण न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही कर रहे हैं। अभी तक के जो फैसले लिए गए हैं उनमें इन सब का पूरा पालन किया गया है। यह अलग बात है कि पिछली सरकारों ने इस बारे में न तो इच्छाशक्ति दिखाई और ना ही संवैधानिक तरीके से काम करने की कोशिश की गई।