उत्तर प्रदेश के जौनपुर में लॉकडाउन के दौरान आत्महत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। पिछले 48 घंटों में चार युवकों ने आत्महत्या कर ली। कोई पारिवारिक विवाद से क्षुब्ध था तो कोई नशे की लत में अपनी जिंदगी हार गया।
पुलिस के अनुसार जिले में नेवढ़िया थाना क्षेत्र के होरैया गांव में बुधवार की देर शाम 24 साल के राहुल यादव ने संदिग्ध हाल  में जहर खा लिया। वह छह मई को मुंबई से आया था। छोटे भाई के मुताबिक  परिवार में काफी समय से विवाद चल रहा था। इसी से क्षुब्ध होकर बुधवार को  दोपहर में भाभी मायके चली गई। आए दिन होने वाले विवाद से आजिज राहुल ने देर  शाम जहर खा लिया। तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे लेकर निजी अस्पताल पहुंचे।  वहां से रेफर किए जाने के बाद वह राहुल को लेकर भदोही के एक अस्पताल जा रहे  थे, मगर रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।

जफराबाद थाना क्षेत्र के बीबीपुर गांव में नीरज  चौहान ने बुधवार की रात फंदे से झूलकर जान दे  दी। वह भी पारिवारिक कलह से आजिज था।  इसके पहले मंगलवार की रात मड़यिाहूं  कोतवाली क्षेत्र के सुंबुलपुर गांव निवासी अनिल कुमार पटेल ने घर  से थोड़ी दूर नीम के पेड़ में फांसी लगाई थी। पिता रामजीत पटेल के मुताबिक वह  नशे का आदी था। वहीं रामपुर थाना क्षेत्र के धरमपुर गांव निवासी आशीष गौतम ने बीमारी से तंग होकर मंगलवार की  रात फांसी लगाकर जान दे दी थी।

समाजशास्त्री प्रो. आरएन त्रिपाठी का कहना है कि लंबे समय बाद बहुत से लोग  घर वापस आ रहे हैं। अब तक उनके मकान और जमीन की सुविधाओं का जो लोग लाभ ले  रहे थे, उनसे विवाद होना स्वाभाविक था। जो लोग वापस आए उनका परिवार के साथ  सामंजस्य बनना मुश्किल है। इसके चलते भी विवाद बढ़े हैं। अभाव ग्रस्तता के  चलते भी व्यक्ति उन्मादी और हिंसक हो जाता है। मनोवैज्ञानिक प्रो.आरएन सिंह ने कहा कि दुनिया भर  में अपराध बढ़ रहे हैं। आने वाले समय में यहां भी मारपीट की घटनाएं बढ़  सकती हैं। लोगों की मानसिक ऊजार् रचनात्मक कायोर्ं में नहीं लगेगी तो उनमें  नकारात्मक प्रवृत्तियां बढ़ेंगी। लॉकडाउन के बाद दूसरे शहरों से गांव आने  वालों से तालमेल में भी दिक्कत हो रही है। जब लोगों का अपना सुख सवोर्परि  हो जाता है तो द्वंद लाजमी है। सहनशीलता कम हो गई है। ऐसे में छोटी-छोटी  बातों पर लड़ाइयां बढ़ेंगी।

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