कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में फंसे भारतीयों को हवाई और समुद्र मार्ग से घर लाया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने ‘वंदे भारत मिशन’ और ‘ऑपरेशन समुद्र सेतु’ शुरू किया है। ऑपरेशन समुद्र सेतु के तहत सबसे पहले मालदीव से भारतीयों को लाया जा रहा है। माले से 698 भारतीयों को लेकर आईएनएस जलाश्व रवाना हो चुका है। इसके 10 मई को कोच्चि पहुंचने की संभावना है।

आईएनएस जलाश्व के जरिए मालदीव से 595 पुरुष और 103 महिलाएं लौट रहे हैं। इनमें 19 गर्भवती महिलाएं भी हैं। नौसेना करीब 2000 लोगों को वापस लाने के लिए आईएनएस जलाश्व और आईएनएस मगर के जरिए ऑपरेशन चला रही है। दोनों युद्धपोत केरल के कोच्चि और तमिलनाडु के तूतीकोरिन से दो-दो बार माले जाएंगे। ऐसा बताया जा रहा है कि मालदीव से 4500 लोगों ने भारत लौटने की इच्छा जताई है। मालदीव में करीब 27 हजार भारतीय रहते हैं।

मालदीव में भारत के उच्चायुक्त संजय सुधीर ने बताया कि आईएनएस मगर रविवार को 200 भारतीय को लेकर तमिलनाडु के तूतीकोरिन जाएगा। अगले हफ्ते फिर माले आएगा। सुधीर ने बताया कि आईएनएस जलाश्व गुरुवार को माले पोर्ट पहुंचा था। भारतीयों की घर वापसी के पहले लॉकडाउन प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया गया। सभी के स्वास्थ्य की जांच की गई है।

खाड़ी और दूसरे देशों से भारतीयों को लाने के लिए नेवी के 14 जहाज तैयार किए गए हैं। इनमें से दो मालदीव और एक दुबई पहुंचे थे। ये तीन जहाज सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोगों को ला रहे हैं। बाकी 11 जहाज स्टैंडबाय रखे गए हैं। इससे पहले नेवी ने 2015 में यमन से और 2006 में लेबनान से भारतीयों का रेस्क्यू किया था। वहां युद्ध से प्रभावित इलाकों में फंसे भारतीयों को लाया गया था।

लोगों को लाते वक्त संक्रमण न फैले इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा। नौसैनिकों को पोतों पर सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने के साथ दूसरे ऐहतियात बरतने होंगे। क्रू मेंबर को रेस्क्यू किए जाने वाले लोगों से मिलने की इजाजत नहीं होगी। सेलिंग के लिए भी सिर्फ जरूरी क्रू मेंबर्स जहाज पर होंगे। जहाज पर चढ़ने से पहले और भारत लौटने के बाद सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग होगी। उन्हें क्वारैंटाइन भी किया जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here