मधुबनी। कमला नदी की कृपा अपने किनारे खेती करने वाले कसमा गांव के किसानों पर बरस रही है। इससे उनके जीवन में खुशहाली है। कोरोना संक्रमण काल में भी उनके जीवन की गाड़ी आराम से चल रही। इनमें बहुत से किसानों के पास अपने खेत नहीं हैं। नदी से सिंचाई की आसान सुविधा और अन्य खर्च भी कम। इससे प्रत्येक किसान प्रतिवर्ष तकरीबन दो लाख की आमदनी कर लेते हैं।

बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती कर रहे

खजौली प्रखंड के कसमा के तकरीबन दो दर्जन किसान गांव से होकर निकली कमला के किनारे सौ एकड़ से अधिक जमीन पर खेती कर रहे। किसान पहले सिर्फ तरबूज, खरबूज व खीरा आदि की खेती करते हैं। बीते पांच साल वे बड़े पैमाने पर सब्जी की भी खेती कर रहे। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है। भोली यादव कहते हैं कि यह नदी हमारे लिए जीवन का आधार है। कोरोना काल के इस दौर में इसी से रोजी-रोटी चल रही। कमाई भले ही कम हुई हो, लेकिन परेशानी नहीं। वे कहते हैं, पिछले वर्ष सीजन में खीरा का भाव दस से 20 रुपये प्रतिकिलो था। सिर्फ खीरा से करीब 50 हजार, खरबूज से एक लाख व अन्य सब्जी से 50 हजार रुपये की आमदनी हुई थी। इस वर्ष सीजन के समय कोरोना संक्रमण के कारण आमदनी आधी हो गई। काफी कम व्यापारी खेत तक पहुंचे।

फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा

नाममात्र के मुनाफे पर ही पैदावार को बेचना पड़ा। कुछ किसानों ने भकुआ स्थित कमला साइफन के निकट सड़क किनारे खुद इसे बेचा। अब लौकी सहित अन्य सब्जियों की खेती से उम्मीद है। किसान गंगा राम यादव, योगेंद्र साह, भोगी साह, जिनदेश्वर सिंह और जितेंद्र कुमार कहते हैं कि फसल बीमा का लाभ नहीं मिलता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का भी लाभ नहीं पा मिल रहा है। इसके लिए पहल होनी चाहिए ताकि, कमला माई के कारण जो खुशहाली है, वह बरकरार रह सके।

बराज से और आएगी समृद्धि

पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जयनगर में कमला वियर का जायजा लिया था। उन्होंने वियर को बराज में परिवर्तित करने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजने का निर्देश दिया। अगर यहां बराज बन जाएगा तो क्षेत्र के किसान और भी खुशहाल हो जाएंगे। वे वर्ष में तीन फसल ले सकेंगे। क्षेत्र की करीब 24 हजार एकड़ भूमि तक ङ्क्षसचाई की सुविधा सुलभ हो जाएगी।

 

राज्य सरकार को कानून बनाना चाहिए

विधायक समीर कुमार महासेठ कहते हैं कि नदी किनारे खेती की जमीन आवंटित करने के लिए राज्य सरकार को कानून बनाना चाहिए। ऐसे किसानों को फसल बीमा सहित अन्य योजनाओं के लाभ के लिए पहल करनी चाहिए। जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार कहते हैं कि अगर किसानों को बीमा की जरूरत होगी तो प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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