लॉकडाउन से भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने यह अनुमान लगाया है. क्रिसिल ने भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान में भी काफी कटौती कर दी है.

क्रिसिल ने भारत की वित्त वर्ष 2020- 21 की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को करीब आधा कम करते हुए 1.8 फीसदी कर दिया. एजेंसी ने कहा है कि कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को कुल मिलाकर 10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है. प्रति व्यक्ति के हिसाब से औसतन यह नुकसान करीब 7,000 रुपये तक होगा.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार क्रिसिल ने कहा है कि सरकारी सहयोग में जबर्दस्त वृद्धि होनी चाहिए. एजेंसी ने इससे पहले चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में छह प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्ति किया था जिसे मार्च अंत में घटाकर 3.5 प्रतिशत और अब 1.8 प्रतिशत पर ला दिया गया है.

लगभग सभी रेटिंग एजेंसियों ने कोरोना की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के ग्रोथ अनुमान में भारी कटौती की है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा था कि साल 2020 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ग्रोथ की दर 1.9 फीसदी के करीब रह सकती है, इसके बावजूद यह दुनिया में सबसे तेज गति होगी. असल में कोरोना की वजह से दुनिया के ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था सिकुड़ जाएगी और इस साल 1930 के महामंदी के बाद की सबसे बड़ी मंदी आ सकती है.

भारतीय इकोनॉमी के लिए कोरोना वायरस एक बड़ा संकट बन रहा है. पहले से ही सुस्त रफ्तार से चल रही इकोनॉमी का ग्रोथ रेट 30 साल के निचले स्तर पर जा सकता है. रेटिंग एजें​सी फिच ने भारत के ग्रोथ रेट अनुमानों को घटाकर दो फीसदी कर दिया है. यह 30 साल का न्यूनतम स्तर होगा.

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