मध्य प्रदेश में मंगलवार को 18 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए हैं। अब तक 65 संक्रमित हो गए हैं। भोपाल के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करा रहे युवक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। वहीं, इंदौर से भोपाल भेजे गए 40 लोगों के सैंपल में 17 पॉजिटिव निकले। वहीं, प्रदेश की दूसरे राज्यों से सटी सीमाओं को सील किए जाने से 23 हजार से ज्यादा मजदूर बॉर्डर पर फंसे हैं। भूखे-प्यासे लोग तेज धूप में बच्चों समेत प्रशासन के घर जाने के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। करीब 10 जिलों की सीमाओं पर डॉक्टरों, नर्साें और पुलिस की टीम ने इनकी जांच की, जो संदिग्ध मिले, उन्हें बॉर्डर पर ही बनाए क्वारैंटाइन सेंटरों में 14 दिन के लिए रख दिया गया। प्रदेश में संक्रमण से अब तक कुल 5 लोगों की मौत हुई है। इनमें इंदौर 3, उज्जैन 2 लोग शामिल हैं।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने एक व्यक्ति 20 तारीख को लंदन से दिल्ली आया। दिल्ली से मुंबई गया। मुंबई से  इंदौर पहुंचा। इंदौर में उसे क्वारैंटाइन किया गया था, लेकिन वह भाग निकला। वहां से बाइक से छुपते हुए गांव के रास्ते से भोपाल आ गया। यहां के जेके अस्पताल में 30 मार्च को आकर भर्ती हुआ था। इसकी स्थिति बिगड़ने पर एम्स में एडमिट किया गया। अब उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। निजी अस्पताल में उसके संपर्क में आए डॉक्टर और स्टाफ की पहचान की जा रही है। इसके साथ ही उसके संपर्क में आए अन्य लोगों की पहचान की जा रही है। इसके साथ ही भोपाल में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या चार हो गई है। वहीं, एम्स में ही कल रात से इलाज के लिए आए एक कोरोना संदिग्ध की मौत हो गई। अभी उसकी कोरोना रिपोर्ट आना बाकी है।

कोरोना संक्रमण से देश में 27 राज्य प्रभावित हैं। इसमें मध्य प्रदेश दसवें नंबर पर है। शहरों की बात करें तो 24 मार्च तक कोरोना मुक्त रहा इंदौर बीते पांच दिनों में देश के सबसे संक्रमित शहरों की सूची में आठवें नंबर पर आ गया है। केरल में देश का पहला मरीज 30 जनवरी को सामने आया था। महाराष्ट्र और दूसरी जगहों पर मार्च के पहले और दूसरे हफ्ते में मरीजों का आना शुरू हुआ। इंदौर में मरीज बढ़ने की रफ्तार जो रविवार तक 380% थी, वह अब 540% हो गई है।संक्रमण को रोकने के लिए भोपाल शहर को चार जोन में बांट दिया गया है। नया शहर, पुराना भोपाल, बैरागढ़ और कोलार को अलग-अलग किया गया। प्रशासन ने ये फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि पुराने शहर के कई इलाकों में अभी लोग ऐहतियात नहीं रख रहे। समूहों में बैठे और घूमते हुए देखा जा रहा है। इंदौर में भी ऐसी ही स्थिति के बाद अचानक संक्रमितों की संख्या बढ़ने का  कारण माना जा रहा है। मंगलवार से लागू हो रही व्यवस्था से लोग एक जगह से दूसरे स्थानों पर नहीं जा सकेंगे। शहर में बैरिकेड्स लगाने का काम शुरू हो गया है। जो लोग नियमों को नहीं मानेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पास वालों और जरूरी सामान की आपूर्ति करने वालों को आने-जाने की अनुमति दी जाएगी। कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने शहर में आज से चारपहिया वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया। मंगलवार सुबह से शहर और सीमा पर इसका सख्ती से पालन कराया जा रहा है।

उप्र सीमा में चिरूला के पास बैरिकेड्स लगा दिए गए थे। इससे ग्वालियर-दतिया की ओर से झांसी की ओर जाने वाले एक किमी के रूट पर कई वाहन फंस गए। यहां फंसे लोगों में हरियाणा के रेवाड़ी से पैदल मऊरानीपुर आ रही गर्भवती महिला पूजा भी शामिल थी। वह दो दिन पहले हरियाणा के रेवाड़ी से पैदल चली थी। महिला ने पुलिस से गुहार लगाई कि वह 8 महीने से गर्भवती है। 500 किमी दूर से पैदल आ रही है, इसलिए जाने दें। यहां हजारों मजदूरों से भरे वाहनों को सिंध नदी के पास दतिया प्रशासन ने जिले की सीमा में घुसने से रोक दिया। मजदूरों का कहना था कि उन्हें जाने दिया जाए, नहीं तो नदी में ही कूद जाएंगे।

यहां से मजदूरों का पलायन जारी है। लोग महानगरों से अब अपने गांव की ओर जा रहे हैं। निवाड़ी, टीकमगढ़ जिले में करीब 10 चेकपोस्ट बनाए गए हैं। जहां बाहर से आने वाले करीब 20 हजार मजदूरों की स्क्रीनिंग की गई। जतारा से लगी यूपी बार्डर से आने वाले लोगों की प्रशासन ने घर जाने की बजाय स्कूल में ही रुकने की व्यवस्था की है, ताकि गांव में बीमारी को फैलने से रोका जा सके। हालांकि, जतारा के अलावा ज्यादातर जगह रुकने के इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसके चलते आवागमन नहीं रुक रहा है।

घर पहुंचने की जद्दोजहद में हजारों लोग भटक रहे हैं। सुरक्षित घर पहुंचने के लिए लोग सैकड़ों किमी का सफर पैदल ही तय करने को मजबूर हैं। इन्हीं में शामिल है- कुसुम आदिवासी। वे अपने तीन साल के बच्चे को गोद में लिए सोमवार को शिवपुरी पहुंचीं। उनके साथ कई आदिवासी परिवार थे, जो भिंड जिले में आलू खुदाई का काम करने गए थे। लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया तो खाने के लाले पड़ गए। मजबूर होकर सभी आदिवासी परिवार भिंड से पैदल ही निकल पड़े। जैसे-तैसे दतिया पहुंचे। वहां से किसी तरह कोटा-झांसी फोरलेन आए, फिर ट्रक में बैठकर कोटा नाके के आगे एप्रोच रोड पर उतर गए। यहां से 17 किमी पैदल चलकर शिवपुरी आए। कुसुम को बैराड़ जाना है। इसलिए वे अन्य आदिवासियों के साथ बच्चे को गाेद में लिए पैदल ही आगे बढ़ गईं। करीब 70 किमी का सफर नंगे पैर ही तय कर रही हैं। कुसुम का कहना है कि घर पहुंच जाएंगे तो जैसे-तैसे जी लेंगे। बाहर तो मजदूरी बंद होने से भूखे मरने की नौबत आ गई थी।

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