राजनीतिक जगत में ‘रघुवंश बाबू’ के नाम से मशहूर समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के अंतिम दर्शन के लिए लोग पहुंचने लगे हैं।रघुवंश प्रसाद का अंतिम संस्कार उनके पैतृक आवास बिहार के वैशाली जिले के महनार प्रखंड के गोरीगामा पंचायत अंतर्गत पानापुर पहेमी गांव में होगा।  उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ वैशाली जिले में उनके गांव शाहपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर गंगा के किनारे हसनपुर घाट पर किया जाएगा।

राजनीतिक जगत में ‘रघुवंश बाबू’ के नाम से मशहूर समाजवादी नेता और राजद के कद्दावर नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने रविवार की सुबह दिल्ली एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली थी। वह 74 साल के थे। रघुवंश के निधन की खबर मिलते ही राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई दिग्गज नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

– वैशाली के एतिहासिक गढ पर रघुवंश बाबू के अंतिम दर्शन को लेकर उमडा जनसैलाब। सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह, पूर्व विधायक राजू सिंह सहित तमाम नेता का जुटान

– दोपहर 1.30 बजे हसनपुर घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया जायेगा।

– रघुवंश बाबू की अंतिम यात्रा वैशाली गढ़ से 9.40 बजे शाहपुर के लिए प्रस्थान करेगी। शाहपुर में उनके शव को एक घंटा आम लोगों के दर्शन के लिए रखा जाएगा।

– रघुवंश बाबू के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए सुबह 9.30 बजे वैशाली गढ़ पर रखा गया है।

 

– पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक जिला पहुंच गया है।, रविवार की देर शाम उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से पटना पहुंचा था।

कोरोना से जीती थी जंग

रघुवंश प्रसाद ने पिछले महीने कोरोना को मात दी थी। हालांकि कोराना से जंग जीतने के बाद उनके फेफड़े में संक्रमण की शिकायत थी। दो दिन पहले उनको दिल्ली एम्स अस्पताल प्रशासन वेन्टीलेटर पर ले गया था। शुक्रवार तक उनकी तबियत स्थिर बताई गई थी, लेकिन रविवार की सुबह उनका निधन हो गया।

4 अगस्त को दिल्ली एम्स में किया था भर्ती

कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें पटना एम्स में भर्ती किया गया था। वहां से ठीक होकर वह घर लौट गए थे, लेकिन उनकी खांसी ठीक नहीं हो रही थी। सांस लेने में भी परेशानी थी। लिहाजा उन्हें बेहतर इलाज के लिए 4 अगस्त को दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था।

गुरुवार को राजद से इस्तीफा दिया था

बता दें कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के लंबे समय तक मित्र और सहयोगी रहे सिंह ने बीते गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और इस तरह की अटकलें थीं कि वह अक्टूबर-नवंबर में संभावित राज्य विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में सत्तारूढ़ जद(यू) में शामिल हो सकते थे।

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