किसी बच्चे के लिए पहली पाठशाला उसकी माँ होती है। माँ के पास पास सटीक जानकारी हो तो वह अपने बच्चे के स्वास्थ्य और भविष्य दोनों को बना सकती है। ऐसी ही एक माँ हैं कांटी प्रखंड के विजय छपरा की रिंकू देवी। रिंकू देवी ने अपनी जानकारी की बदौलत अपने बच्चे गोलू को चमकी के मुंह से खींच लायी। 14 अप्रैल को दिन में दो बजे गोलू बाहर कहीं से खेल कर अपने आंगन में आया। तभी वह अचानक पसीने से तर-बतर हो गया। तुरंत ही सांस फूलने लगा और शरीर में ऐंठन शुरु हो गयी. यह देखते ही रिंकू देवी समझ गयी कि उनके बेटे को चमकी का अटैक आया है। बिना देरी की वह बगल से ऑटो किराए पर लिया और एक घंटे के अंदर एसकेएमसी हॉस्पिटल पहुंच गयी। जांच में पता चला कि गोलू चमकी बुखार से पीड़ित है. छह दिन एसकेएमसी हॉस्पिटल में ईलाज होने के बाद गोलू स्वस्थ होकर अपने घर आ गया।

नि:शुल्क मिली सारी सुविधाएं :

गोलू के पिता धौर सहनी ने बताया वह एक किसान है. अगर सरकारी अस्पताल में चमकी बुखार के ईलाज की निःशुल्क एवं बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं होती तो आज गोलू की जान नहीं बच पाती. वह कहते हैं, उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं हैं कि वह अपने बेटे का ईलाज किसी अच्छे निजी अस्पताल में करा पाते. उन्होंने बताया एसकेएमसी हॉस्पिटल में ईलाज के दौरान उनका एक रुपया भी नहीं लगा। जांच से लेकर बेड सभी सुविधाएं आसानी से और नि:शुल्क मिली। वहीं डॉक्टरों का भी रवैया सहयोगात्मक रहा। उन्हें दवा भी बाहर से नहीं खरीदनी पड़ी.

माँ को आशा ने दी थी जानकारी :

गोलू की मां रिंकू देवी बताती हैं इस साल बहुत पहले से ही एईएस पर गांव में जानकारी फैलायी जा रही थी। वह महिलाओं के मुंह से सुनती भी थी कि आज उसके घर आशा आयी थीं एवं उसने एईएस के बारे में उन्हें जानकारी दी है. एक दिन उनके घर आशा और आंगनबाड़ी दीदी दोनों ही आयीं। दोनों ने काफी अच्छे से चमकी के बारे में उन्हें जानकारी दी. उन्होंने बताया जिस दिन से उन्हें चमकी बुखार पर जानकारी मिली, उस दिन से वह अपने बच्चों को भूखे पेट रात में कभी सोने नहीं देती थी। पर जिस दिन गोलू को सांस फूलने, पसीना आने और शरीर ऐंठने की शिकायत हुई वह समझ गयी कि हो न हो इसे चमकी ही है. वह बताती हैं अब आशा दीदी गोलू के स्वास्थ्य जांच करने भी अक्सर आती हैं एवं वह खुद भी लोगों को एईएस से सतर्क रहने के बारे में जानकारी देती हैं.

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