कैंसर सरवाइवर नफीसा अली लॉकडाउन के चलते गोवा में फंस गई थी। उनका बाकी परिवार दिल्ली में रहता है। सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती जाहिर करने के बाद गोवा प्रशासन हरकत में आया था। उसके चलते नफीसा अली उनकी मुरीद हुई थी। उसके बाद अब नफीसा अली इंडियन आर्मी की भी मुरीद हो गई हैं। इंडियन आर्मी की मदद से उन्हें उनकी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने वाली दवाइयां दिल्ली से गोवा तक पहुंच पाई हैं।

नफीसा बोलीं, ‘यहां सीधा सा मामला है कि अगर हेल्थ वर्कर या मेडिकल स्टाफ किसी भी जाति और जमात के लोगों के टेस्ट के लिए आती है तो आपकी ड्यूटी है कि आप उन्हें कोऑपरेट करें। हर धर्म, संप्रदाय के लोग एक-दूसरे के प्रति इस तरह की ड्यूटी निभाने की उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है। इसलिए कि वायरस धर्म या जाति विशेष को देखकर हमला नहीं कर रहा है। वह अमीर हो या गरीब राजा हो या रंक, हर किसी को अपनी चपेट में ले रहा है। हरेक को टारगेट कर रहा है। यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि तब्लीगी जमात की वजह से पूरी मुस्लिम कौम निशाने पर आ गई है या उन्हें लिया जा रहा है।  हम सबको किसी भी सिचुएशन में जाति,धर्म,संप्रदाय से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है हमेशा। मेरी अपील है लोगों से कि मुस्लिम कम्युनिटी को टारगेट ना किया जाए। जो कुछ भी हुआ है, हमें उस पर फुलस्टॉप लगाना है।’

लॉकडाउन पीरियड में सोशल डिस्टेंसिंग के मामले में लापरवाही बरतने वाले तब्लीगी जमात को भी नफीसा अली ने निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा, ‘ मुझे तो यकीन नहीं होता कि वह ऐसा कर सकते हैं। अगर वह लोग कुरान में भी यकीन रखते हैं तो उसमें भी लिखा हुआ है कि महामारी अगर है तो हिफाजत और परहेज रखना चाहिए। प्रशासन की तरफ से जो निर्देश हो, उनका पालन करना चाहिए।

नफीसा ने आगे कहा, ‘मेरी अपील पर पहले गोवा प्रशासन हरकत में आया। जो मैंने दवाई की लिस्ट दी थी उन्हें, वह दिल्ली से इंडियन आर्मी की मदद से मुझ तक पहुंचाने में कामयाब रहा। मैं उनका सेवन कर रही हूं। लॉक डाउन का पूरा पालन कर रही हूं। मैं लोगों से कहना चाहूंगी कि मेरी तरह वह भी आवाज उठाएं। हर गली-कूचे से घर आवाज उठेगी तो प्रशासन वहां जरूर पहुंचेगी और उनकी समस्याओं का निवारण करेगी, इसलिए मैंने आवाज सोशल प्लेटफॉर्म पर उठाई थी। बाकी सोशल मीडिया पर जो मेरी फोटो सर्कुलेट हो रही है, वह उसमें जो गले पर निशान है, वह कीमो के नहीं हैं। ल्यूकोडर्मा के हैं। मैं तो कैंसर सरवाइवर हूं। कीमो के निशान तो कब के जा चुके हैं।’

नफीसा ने आगे कहा, ‘तब्लीगी जमात का व्यवहार बड़ा ही गैर जिम्मेदाराना है। पहले खुद इनफेक्ट हुए। फिर फैमिली को इनफेक्ट किया। फिर पूरे समाज के लिए खतरा बन गए यह लोग। जब मक्का मदीना मंदिर, गुरुद्वारे, वेटिकन चर्च सब इस महामारी के मसले को समझ रहे हैं तो इन तब्लीगी जमात के लोगों को क्यों नहीं समझ में आया, यह मेरी समझ से बाहर है। एक ऐसी सिचुएशन में जब हम सबको न सिर्फ एक-दूसरे के प्रति, बल्कि पूरे समाज के प्रति जिम्मेदाराना रवैया अपना कर रखना है, वहां पर इस तरह की गैर जिम्मेदाराना हरकत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। उनकी इमैच्योरिटी माफी के लायक नहीं है। इसके पीछे उनका कोई भी डिफेंस मैं एक्सेप्ट नहीं कर सकती कि वह या तो उनके अनुयायी कम-पढ़े लिखे हैं या एक खास तरीके से ही धर्म के बारे में सोचते हैं या उन को टारगेट किया जा रहा है। यह सब तर्क बिल्कुल मैं नहीं मानती हूं।’

 

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