कोरोना वायरस मरीजों में सिर्फ निमोनिया के लक्षण देखे जा सकते हैं. लेकिन नये अध्ययन में सामने आया है कि ये कुछ मरीजों के दिल पर भी हमला कर रहा है. एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया से जानिए ऐसे सभी सवालों के जवाब.
कोराेना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में तमाम स्टडी की जा रही हैं. अभी तक कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस खांसी जुकाम के लक्षणों के साथ फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर हमला करता है. लेकिन अब नये अध्ययनों में चौंकाने वाला सच सामने आया है. एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने आजतक से खास बातचीत में इसके बारे में बताया.
डॉ गुलेरिया ने कहा कि हालिया स्टडी में सामने आया है कि कोरोना के हर पांच में से एक मामले में दिल को नुकसान पहुंचाने के संकेत दिखे हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस फेफड़ों पर ही नहीं दिल पर भी अटैक करता है. डॉ गुलेरिया ने कहा कि तमाम देशों से जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उससे वायरस के अलग-अलग प्रभाव के बारे में पता चलता है.
आम मरीजों की पहले ये निमोनिया जैसी हालत करता है. मरीज में खांसी-जुकाम के लक्षणों के साथ ऑक्सीजन की कमी होती है. लेकिन 30 प्रतिशत मरीजों में ये मायोकार्डिटिस (Myocarditis) के लक्षण भी देता है. इससे हार्ट की मांसपेशियों और उसके इलेक्ट्रिकल सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है. इससे हृदय गति पर असर पड़ता है. हार्ट की फंक्शनिंग पर असर पड़ने से कई बार पंपिंग एकदम कम हो जाती है, इससे पता ही नहीं चल पाता और कई मामलों में मरीज की अचानक मौत हो जाती है.
इसलिए कुछ कोरोना मरीजों में जिनमें हृदय को लेकर लक्षण आ रहे हैं, उनमें हार्ट मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है. डॉ गुलेरिया का कहना है कि नये अध्ययनों में कोरोना वायरस के शरीर के विभिन्न अंगों पर असर के चौंकाने वाले प्रभाव सामने आ रहे हैं. ये भी सामने आया है कि कुछ मरीजों में कोरोना वायरस के असर के तौर पर फेफड़ों में क्लॉट बन जाता है, जिससे वो बिल्कुल काम नहीं करता. इसके अपने आप में अलग कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं.
कोरोनावायरस पर हो रहे शोधों में सामने आ रहा है कि ये पूरी तरह एन्फलुएंजा की तरह नहीं है कि ये इंसानी शरीर के सिर्फ यूनीक अंग पर असर करता है. कई मरीजों में देखा जा रहा है कि ये अलग अलग अंगों पर भी असर करता है. इसलिए कोरोना मरीजों के इलाज के समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. अगर उनमें हृदय गति घटने या बढ़ने के कोई लक्षण सामने आ रहे हैं तो उसकी पूरी मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है.