उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान देश में अचानक ही बच्चों की तस्करी की घटनाओं में कथित रूप से इजाफा होने के मद्देनजर इस पर अंकुश लगाने के लिए नीति तैयार करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सोमवार (8 जून) को केन्द्र सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर वीडियो कॉफ्रेन्स के माध्यम से सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में सहयोग करने का आग्रह किया।

पीठ ने इसके साथ ही संकेत दिया कि बाल तस्करी के मसले पर गौर करने के लिए वह विशेषज्ञों की समिति गठित कर सकती है। नोबल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आन्दोलन’ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने गृह मंत्रालय, श्रम एवं अधिकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ ही नौ राज्यों को नोटिस जारी किए। इन राज्यों में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और तेलंगाना शामिल हैं।

इस संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूल्का ने कहा कि इस मामले में सभी जिला प्राधिकारियों को समावेशी दृष्टिकोण अपनाना होगा, ताकि इस तरह की बढ़ रही घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। पीठ ने याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूल्का से कहा कि वह इस समस्या से निबटने के बारे में सुझाव देने के लिए कुछ तैयारी करें। दूसरी ओर, मेहता ने पीठ से कहा कि वह इस मामले में न्यायालय की मदद करेंगे क्योंकि यह किसी के खिलाफ नहीं है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने गैर सरकारी संगठन से भी कहा कि वह बाल श्रम बाजार पर अंकुश लगाने तथा ठेकेदारों द्वारा बाल मजदूरों को काम पर लगाने से रोकने के बारे में अपने सुझाव दें। न्यायालय इस मामले में अब दो सप्ताह बाद आगे सुनवाई करेगा। न्यायालय ने संबंधित पक्षकारों से कहा है कि वे इस विषय पर शोध करें और ऐसे उपाय खोजें जिनसे शोषण से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने अपनी याचिका में कहा है कि इन राज्यों में सबसे ज्यादा कामगारों का स्थानांतरण हुआ है और बाल तस्करी पर प्रभावी तरीके से काबू पाने का यही उचित समय है। याचिका में केन्द्र और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को बाल तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए तैयार नीति सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजने और इस पर अनिवार्य रूप से अमल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

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