मास्क या पीपीई किट अब सिर्फ वायरस से बचाएगा नहीं बल्कि जानकारी भी देगा। देश में अब सेंसरयुक्त मास्क व पीपीई किट का निर्माण किया जाएगा। बॉयोसेंसर के संपर्क में वायरस के आते ही मास्क या पीपीई किट का रंग बदल जाएगा या फिर अलार्म बज उठेगा।

इस ओर वैज्ञानिकों ने शोध भी शुरू कर दिया है। यह जानकारी एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने दी। विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के कारण नैनोटेक्नोलॉजी के जरिए फैब्रिक तैयार करने पर जोर दिया। कानपुर के भी कई उद्यमी ने भी ऐसे फैब्रिक तैयार करने पर जोर दिया।

उप्र वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआई) की ओर से शुक्रवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। संस्थान के चेयरमैन सुशील कुमार गुप्ता ने सस्ते मास्क बनाने पर जोर दिया। आईआईटी दिल्ली के प्रो. बीके बेहेरा ने कहा कि कोरोना से सीधे लड़ रहे हेल्थवर्क कर्मी के लिए मास्क पर्याप्त नहीं हैं। उनके लिए रेस्पेरेटर की जरूरत है। इसलिए ऐसे मास्क की जरूरत है, जो एक्स-रे व गामा-रे से भी बचा सके। साथ ही इसका प्रयोग सेनेटाइज करके दोबारा भी किया जा सके।

संस्थान के निदेशक प्रो. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि ब्लोन तकनीक से बनी फैब्रिक पीपीई किट व फेस कवर को बनाने के लिए सर्वोत्तम है। गार्डन सिल्क मिल्स के टेक्निकल प्रेसिडेंट राजीव कटियार ने कहा कि भारत जल्द पालीप्रोपलाइन नान वोवन फैब्रिक बनाने में सक्षम होगा। भिलोस ग्रुप के के प्रेसिडेंट मार्केटिंग संदीप रोहिल्ला ने पालीस्टर फाइबर से बना सर्जिकल गाउन व पीपीई किट तैयार होगा। ए-मोड इंडस्ट्री कानपुर के आमोद बाजपेई ने अपने फेस मास्क का प्रदर्शन किया। शहर के उद्यमी श्रीगोपाल तुलस्यान, गोपाल दीक्षित, अंबुज अग्रवाल ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

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