पप्पू यादव की गिरफ्तारी ने उठाए बिहार के पुलिसिया  सिस्टम पर गंभीर प्रश्न चिन्ह!

पप्पू यादव के साथ सरकार क्या कर रही है, और क्या करना चाहती है इसका जवाब तो सरकार हीं बेहतर दे सकती है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में बिहार कि जनता के पास जो मैसेज पहुँच रहा है वह यही है कि बिहार कि सरकार एक तानाशाह कि तरह काम कर रही है, और वह बदले कि भावना से ओत-प्रोत होकर एक 32 साल पुराने मामले में पप्पू यादव को कैद कर उन्हे उनकी औकाद याद दिलाना चाह रही है।

पप्पू यादव का इतिहास आपराधिक जरूर है, और पप्पू यादव के साथ जो भी हो रहा है वह संविधान के दायरे में रहकर हीं हो रहा है, लेकिन पप्पू यादव के साथ कल सुबह से लेकर रात तक जो हुआ जैसे हुआ उसकी टाइमिंग और तरीका दोनों हीं संदेहास्पद हैं और सरकार पर कई गंभीर प्रश्न खड़े करते हैं।

पहले बताया जाता है कि पप्पू यादव को लॉकडाउन उल्लंघन मामले में गिरफ्तार किया गया है, फिर शाम होने पर पता चलता है कि उन्हे 32 साल पुराने एक अपहरण के मामले में गिरफ्तार किया गया है, और मामला भी ऐसा जिसमे कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी का समन 10 फरवरी 2020 को हीं जारी किया गया था, लेकिन पुलिस से वारंट खो गया फिर कोर्ट ने 17 सितम्बर 2020 को एक और वारंट जारी किया लेकिन फिर भी पुलिस पप्पू यादव को गिरफ्तार नहीं कर पायी, एक बार पुनः कोर्ट ने पप्पू यादव के खिलाफ 22 मार्च 2021 को कुर्की का आदेश जारी किया लेकिन क्या मजाल जो पुलिस पप्पू यादव के दरवाजे तक भी फटक जाती।

मधेपुरा पुलिस अब तक इंतज़ार कर रही थी कि कब पप्पू यादव सारण के BJP सांसद राजीव प्रताप रुड़ी के कार्यालय में कोरोना महामारी के समय यूं हीं धूल फांक रहे एंबुलेंस का विडियो जारी करेंगे और फिर जब यह मामला तूल पकड़ेगा तब वह पप्पू यादव को गिरफ्तार करने पटना पहुंचेगी।

गिरफ्तारी भी हो गई, रात में ऑनलाइन कोर्ट भी खुल गया, पप्पू यादव ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए खुद को हॉस्पिटल मे भर्ती करने कि गुजारिश कि और जज साहब ने इनकी अर्ज़ी स्वीकार करते हुए इन्हे मेडिकल सुविधा प्रदान करने का आदेश भी दिया लेकिन फिर भी पप्पू यादव को  रात में डेढ़ बजे भारत नेपाल सीमा से सटे वीरपुर जेल भेज दिया गया। यहाँ भी सब कुछ संविधान के दायरे में ही हुआ।

हाँ यह बहस का मुद्दा जरूर हो सकता है कि यह सब कुछ संविधान के दायरे में रहते हुए क्या मानवता के दायरे में भी था क्या? क्या कोरोना महामारी के समय किसी पूर्व सांसद और एक राजनेता को इस तरह जेल भेजना और वह भी तब जब वह खुद अपने बुरे स्वास्थ्य का हवाला दे कर खुद को प्रशासन कि देख रेख में हॉस्पिटल भेजे जाने कि गुजारिश कर रहा हो?

पप्पू यादव जो आपदा और महामारी में प्यासे को पानी पिला रहे थे, भूखों को भोजन खिला रहे थे अब खबर आ रही है कि पप्पू यादव जेल में भूख हड़ताल पर चले गए हैं। खुद पप्पू यादव को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा है। उनके समर्थकों ने उनके ही ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके यह जानकारी दी है।

वीरपुर जेल में मैं भूख हड़ताल पर हूं। न पानी है, न वाशरूम है, मेरे पांव का ऑपरेशन हुआ था, नीचे बैठ नहीं सकता, कमोड भी नहीं है।

कोरोना मरीज की सेवा करना,उनकी जान बचाना, दवा माफिया,हॉस्पिटल माफिया,ऑक्सीजन माफिया,एम्बुलेंस माफिया को बेनकाब करना ही मेरा अपराध है। मेरी लड़ाई जारी है!

— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) May 12, 2021

पप्पू यादव कि पत्नी और पूर्व सांसद सह काँग्रेस नेत्री रणजीत रंजन ने कल से ले कर अब तक कई ट्वीट्स किए, उन्होने बहुत हीं सख्त लहजे में बिना नाम लिए चार लोगों कि तरफ इशारा करते हुए लिखा कि “पप्पू जी कोरोना निगेटिव हैं, अगर वह पॉजिटिव हुए तो , इस साजिश में शामिल चार लोगों एवं एम्बुलेंस चोरों को CM आवास से निकाल बीच चौराहे पर नहीं खड़ा किया तो मेरा नाम रंजीत रंजन नहीं।“

मधेपुरा पुलिस इस पूरे प्रकरण में अपने अनोखे कार्यशैली से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सुशासन कि सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है, सरकारें अगर बदले कि भावना से प्रेरित होकर कार्य करने लगेगी तो उस शपथ का क्या मोल रह जाएगा जो शपथ नेता मंत्री या मुख्यमंत्री बनने से पहले लेते हैं।

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