मुंबई. बुधवार को 9 मुस्लिम संघटनों (Muslim Organizations) ने फैसला लिया है कि चीन (China) में बनने वाली कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) का इस्तेमाल मुस्लिम नहीं करेंगे. इन मुस्लिम संगठनों का कहना है कि चाइना की वैक्सीन में सुअर (Pork) का इस्तमाल हुआ है. सुअर मुसलमानों के लिए हराम होता है. इसलिए चाइना वाली वैक्सीन का इस्तेमाल हमलोग नहीं करेंगे. बता दें कि कोरोना वैक्सीन को लेकर मुस्लिम संगठनों के सहमति और असहमति के लगातार बयान आ रहे हैं. हाल ही में अरब अमीरात (UAE) के शीर्ष इस्लामी संगठन फतवा काउंसिल ने कोरोना वायरस टीकों में पोर्क के जिलेटिन का इस्तेमाल होने पर भी इसे जायज करार दिया था.
चाइना का वैक्सीन मुस्लिम इसलिए इस्तेमाल नहीं करेंगे
बता दें कि आम टीकों में पोर्क जिलेटिन का इस्तेमाल होता है. इसी वजह से मुस्लिमों के बीच टीकाकरण को लेकर चिंता बढ़ गई है. इस्लामी कानून में पोर्क से बने कोई भी उत्पादों को हराम माना जाता है. मुंबई में बुधवार को 9 मुस्लिम संगठनों के महासचिव और रजा एकाडमी के मो सैय्यद नूरी ने कहा, ‘मुंबई में हमारे लोगों कि मीटिंग हुई, जिसमें 9 संघटन शामिल हुए. इसमें फैसला लिया गया कि चाइना में बनने वाली वैक्सीन का इस्तेमाल मुस्लिम न इस्तेमाल करें.’
भारत को दिसंबर के अंत तक वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी मिलने की संभावना है (सांकेतिक तस्वीर)
वैक्सीन पर क्या कहना है मुस्लिम संगठनों का
नूरी आगे कहते हैं, ‘हमें पता चला है की चाइना में एक वैक्सीन बनाई है, जिसमें सुअर के बाल, चर्वी या उसके मांस का इस्तमाल हुआ है. मुसलमानों में सुअर पूरी तरह से हराम है. अगर सुअर का एक बाल भी कुएं में गिर जाता है तो वो पूरा कुआं ना-पाक हो जाता है. इसलिए यह तय हुया है कि चाइना वाली वैक्सीन का इस्तेमाल हम नही करेंगे.’
मुस्लिम संघटनों को कहना है कि चाइना की वैक्सीन में सुअर का इस्तमाल हुआ है.
गौरतलब है कि वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर हो रही सहमति और असहमति के बीच भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (डीजीसीआई) के साथ अपने कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन (Covavxine) के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए आवेदन किया है. वर्तमान में 1,000 वॉलेंटियर्स के साथ चरण I और II परीक्षणों को पूरा करने के बाद पूरे भारत में 25 केंद्रों पर 26,000 वॉलंटियर्स पर तीसरे चरण के ह्यूमन ट्रायल्स कर रहा है.