भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश में जारी लॉकडाउन के बीच बैंकों, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट (MFI) और गैर ​बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को बड़ी राहत देते हुए उन्हें 1 लाख करोड़ रुपये की नकदी देने की व्यवस्था की है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए शुक्रवार को कई ऐलान किए हैं.

रिजर्व बैंक ने 50 हजार करोड़ रुपये के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO) के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये सिस्टम में लाने का ऐलान किया है. यह कई टुकड़ों में किया जाएगा और गवर्नर ने कहा कि हालात की समीक्षा के बाद जरूरत हुई तो और भी नकदी डाली जाएगी. गौरतलब है कि आर्थिक संकट के दौर में इन संस्थाओं को नकदी की काफी समस्या हो रही थी.

बैंक और वित्तीय संस्थाएं जब इस तरह का फंड हासिल करेंगी तो उसे कंपनियों, एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट के इनवेस्टमेंट ग्रेड बॉन्ड में लगाएंगी. इस तरह से कॉरपोरेट और छोटी वित्त संस्थाओं को पैसा मिल पाएगा. गौरतलब है कि खासकर लघु वित्त संस्थाओं को नकदी की काफी तंगी से गुजरना पड़ रहा है.

इसके आलवा रिजर्व बैंक ने नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी जैसी सरकारी वित्त संस्थाओं को 50 हजार करोड़ रुपये की रीफाइनेंस यानी पुनर्वित्त की व्यवस्था करने की घोषणा की है. ये संस्थाएं वित्त हासिल कर फिर जनता और उद्यमियों को कर्ज दे सकेंगी.

संकट के दौर में देश की इकोनॉमी को बचाने के लिए रिजर्व बैंक एक्टिव है. इसके पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 27 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था, उसमें उन्होंने रेपो रेट में 0.75 फीसदी की भारी कटौती का ऐलान किया था.

गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब है. लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी तरह के काम-धंधे बंद पड़े हैं और हर दिन 35 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है. लॉकडाउन के पहले चरण में ही देश की जीडीपी को करीब 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपनी इकोनॉमी को बचाने के लिए एक्टिव हैं और रिजर्व बैंक भी इस मामले में पीछे नहीं है.

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