बिहार की चांदन नदी में मिले दो हजार साल पुराने कुषाण कालीन भवनों के अवशेष , देखने के लिए जुटी भीड़ 

बिहार के बांका प्रखंड क्षेत्र के भदरिया गांव के समीप चांदन नदी में करीब दो हजार साल पुराने कुषाण कालीन भवनों के अवशेष मिले हैं। शनिवार को एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों ने नदी में जाकर जांच की और रिपोर्ट पुरात्वविद विभाग को भेजने के लिए पहल की।

ग्रामीण सह सेवानिवृत्त शिक्षक परमानंद प्रेमी ने शुनिवार को बताया कि छठ घाट बनाने के दौरान युवाओं ने नदी में बड़ी-बड़ी ईंटें देखी थी। सूचना पर गांव के दर्जनों लोग नदी पहुंचे और अवशेषों को देखा। उन्होंने कहा कि पहले दिन करीब 50 फीट में कई भवनों के अवशेष को देखा था। उसके बाद पुन: शनिवार को लोग अवशेष देखने पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि भवनों का अवशेष कई एकड़ में फैला हुआ है। जानकारी वरीय अधिकारियों को देने के बाद सीओ सुनील कुमार साह, थानाध्यक्ष अरविंद कुमार राय पहुंचे और अवशेष का जायजा लिया। कुछ देर बाद एसडीएम मनोज कुमार चौधरी एवं एसडीपीओ दिनेशचंद्र श्रीवास्तव भी पहुंचे और नदी में ईंटों सहित अन्य चीजों को बारीकी से देखा। उन्होंने कहा कि भदरिया के समीप चांदन नदी में मिले अवशेषों की रिपोर्ट पुरातत्व विभाग पटना को भेजी जा रही है। जल्द ही सार्थक पहल की जाएगी।

भदरिया में पहले भी मिला था मृदभांड

अमरपुर निवासी और पुरातत्व के जानकार सतीश कुमार ने ईंट को देखकर कहा कि यह करीब दो हजार वर्ष पूर्व की कुषाण कालीन ईंट लग रही है। उस समय ईंट का आकार बड़ा होता था तथा इसे हाथ से थापकर तैयार किया जाता था। इन ईंटों को धान के डंठल से पकाया जाता था। यह ईंट 18 इंच लंबी, नौ इंच चौड़ी तथा करीब ढाई इंच मोटी होती थी। चांदन नदी में मिली ईंटें भी इसी आकार की दिखीं। भदरिया में पूर्व में भी मृदभांड मिले थे। ग्रामीणों ने बताया कि करीब ढ़ाई हजार वर्ष पूर्व भद्दई गांव (वर्तमान में भदरिया) में महात्मा बुद्ध आए थे। उनकी पहली चारिका में विशाखा का नाम आता है, जिन्हें मिगारमाता भी कहा जाता है। विशाखा इसी गांव की बताई जाती है।

मनोज कुमार चौधरी, एसडीएम, बांका ने बताया कि भदरिया चांदन नदी में मिले अवशेषों की रिपोर्ट पुरातत्व विभाग को दी जा रही है। तत्काल स्थानीय पुलिस को नदी एवं अवशेष स्थल की निगरानी के लिए चौकीदार की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है।

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