एक वैज्ञानिक स्टडी का दावा है कि एक खास उपाय से कोरोना वायरस के 80 फीसदी मामलों को कम किया जा सकता है. वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने वायरस का सामना करने के लिए कई तरह के नए मॉडलों का प्रयोग किया है, जिसमें से एक चीज को उन्होंने सबसे प्रभावी बताया है. इस समय पूरी दुनिया लॉकडाउन खोलने की तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है, ऐसे में वैज्ञानिकों का ये दावा लोगों के लिए बहुत काम का हो सकता है.

नए आंकड़ों के अनुसार, इतिहास और विज्ञान कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए एक ही बात पर सहमत हैं और वो है मास्क पहनने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना. NBC News रिपोर्ट के अनुसार वायरस के खिलाफ मास्क की प्रभावशीलता पर बहुत बहस के बाद आखिरकार व्हाइट हाउस ने अपने सभी कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है. वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप के साथ काम कर रहे अन्य सभी नेता पहले से ही मास्क पहन रहे थे

यह स्टडी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के अंतर्राष्ट्रीय कंप्यूटर विज्ञान संस्थान और हांगकांग के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के रिसर्च और वैज्ञानिक मॉडल पर आधारित है. स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर डेकाई वू का कहना है कि मास्क की अनिवार्यता का आधार वैज्ञानिक मॉडल और इसकी जरूरत है.

स्टडी के मुताबिक, 6 मार्च को जापान में कोरोना वायरस से सिर्फ 21 लोगों की मौत हुई. उसी दिन, अमेरिका में कोरोना से 2,129 लोगों की मौत हुई जो जापान में हुई मौतों से 10 गुना ज्यादा है. अमेरिका लॉकडाउन खोलने की तैयारी में है जबकि जापान में कभी उस तरीके से लॉकडाउन लगा ही नहीं.

जापान में अब नए मामले भी बहुत कम आ रहे हैं जबकि पूरी दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि जापान में मास्क पहनने का कल्चर पहले से ही है.अर्थशास्त्री और इस स्टडी में सहयोग करने वाले पेरिस के इकोले डे गुएरे ने कहा, ‘सिर्फ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही ऐसी चीज है जो कोरोना से बचाने का काम कर सकती है. जब तक इसकी कोई वैक्सीन या दवा नहीं बन जाती, हमें कोरोना से ऐसे ही लड़ना होगा.

अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका वैनिटी फेयर ने अपने एक लेख में लिखा है कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बन जाती, हमें सिर्फ मास्क ही बचाने का काम कर सकता है

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