नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वकील अपने एक साथी वकील पर लगे सौ रुपये के जुर्माने को भरने के लिए आज कल 50 पैसे के सिक्के जुटा रहे हैं क्योंकि 50 पैसे का सिक्का वर्तमान में बाजार में नहीं चल रहा है इसीलिए ये आसानी से उपलब्ध नहीं है, फिर भी सिक्का ढूंढने की मुहिम जारी है. जुर्माना भरने के लिए कुल 200 सिक्के चाहिए जिसमें से अब तक 75 सिक्के जमा हो चुके हैं. जब 200 सिक्के यानी 100 रुपये इकट्ठा हो जाएंगे तो सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा होंगे. ये वकीलों का एक सांकेतिक विरोध है जो कि सुप्रीम कोर्ट के वकील रीपक कंसल पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 100 रुपये जुर्माना लगाने के खिलाफ है.

Coin – INDIA-REPUBLIC – 50 Paise – 1988 – NumisCorner.com

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के वकील रीपक कंसल ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री पर आरोप लगाया था कि रजिस्ट्री बड़े वकीलों और प्रभावशाली लोगों के मामलों को सुनवाई के लिए अन्य लोगों के मामलों से पहले सुनवाई की लिस्ट में शामिल कर देती है. वकील कंसल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के सेक्शन ऑफिसर कोर्ट रजिस्ट्री नियमित रूप से कुछ लॉ फॉर्म्स, प्रभावशाली वकीलों और उनके मामलों को ‘वीवीआईपी ट्रीटमेंट’ देते हैं जो सुप्रीम कोर्ट में न्याय पाने के समान अवसर के खिलाफ है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध (लिस्ट) करने में ‘पिक एंड चूज’ नीति को ना अपनाया जाए और कोर्ट रजिस्ट्री को निष्पक्षता और समान व्यवहार के निर्देश दिए जाएं.

 

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एम. आर. शाह की बेंच ने रीपक कंसल की याचिका में लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए 100 रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा था कि रजिस्ट्री के सभी सदस्य दिन-रात आपके जीवन को आसान बनाने के लिए काम करते हैं, आप उन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं. आप इस तरह के आरोप कैसे लगा सकते हैं? रजिस्ट्री हमारे अधीनस्थ नहीं है. वो बहुत हद तक सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा हैं.

रीपक कंसल ने अपनी याचिका में सबूत के तौर पर एक अन्य याचिका का जिक्र किया था जिसे सुनवाई के लिए वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया था. वो याचिका सुप्रीम कोर्ट में रात आठ बजे दायर हुई और उसे अगले दिन एक घंटे के भीतर सुनवाई के लिए लिस्ट कर लिया गया था. जबकि वकील रॉयल की ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ की मांग वाली याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध नहीं किया गया. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एम. आर. शाह की बेंच ने अर्नब गोस्वामी के मामले को ‘अधिमान्य प्राथमिकता’ का एक उदाहरण बताने पर याचिकाकर्ता पर नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने कहा था कि ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ पर अपनी याचिका की तुलना अर्नब गोस्वामी से कैसे कर सकते हैं? क्या आग्रह था? आप क्यों अर्थहीन बातें कर रहे हैं?

 

गौरतलब है कि रीपक कंसल ने जो आरोप कोर्ट के खिलाफ लगाया है वो नया नहीं है. सब जानते हैं, सुप्रीम कोर्ट के तमाम वकील भुक्तभोगी हैं लेकिन माई लॉर्ड के सामने ये बात कहे कौन? इसीलिए बात केवल अंदरखाने में होती थी. जब रीपक कंसल ने आवाज उठाई तो वकीलों को लगा कि चलो किसी ने तो ‘बिल्ली के गले में घण्टा’ बांधने की कोशिश की है. इसीलिए रीपक के खिलाफ कोर्ट द्वारा जुर्माना लगाने के फैसले का सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वकील सांकेतिक विरोध कर रहे हैं. उनको लगता है कि रीपक कंसल ने अपनी याचिका में जो बातें कही थीं वो सही हैं, ऐसे में कोर्ट ने उन पर जुर्माना लगाकर ठीक नहीं किया है. इसी सांकेतिक विरोध के लिए वकीलों ने 100 रुपये इकट्ठा करने के लिए चंदा जुटाना शुरू किया है. इसके लिए व्हाट्सएप पर ‘Contribute Rs 100’ नाम से एक ग्रुप बनाया गया है. जिसमें अब तक 125 से अधिक वकीलों ने रीपक कंसल को सपोर्ट करने की बात कही है और सब मिलकर 50-50 पैसे का सिक्का ढूंढने में लग गए हैं.