महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ये मान लेने के बाद कि सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का मामला अगर सीबीआई के पास जाता है तो राज्य की पुलिस का मनोबल टूट सकता है, इस पूरे मामले के और पेचीदा होने के आसार बनते जा रहे हैं। इस मामले में मुंबई पुलिस अपनी पुरानी आदतों के चक्कर में भी सुप्रीम कोर्ट में मात खा सकती है और वह इसलिए क्योंकि उसने इस मामले में अब तक कोई एफआईआर दर्ज ही नहीं की है। लिहाजा, सुशांत के 15 करोड़ रुपये गायब कर देने की आरोपी रिया चक्रवर्ती की सर्वोच्च न्यायालय से लगाई गई गुहार बैकफायर कर सकती है।

चार दिन लगातार यहां मुंबई शहर में भटकती रही बिहार की पुलिस को मुंबई पुलिस के सामने जिस तरह जलील होना पड़ा है, वह पूरी तरह एक अलग मामला बन चुका है। सुशांत सिंह राजपूत इंजीनियरिंग करके अभिनेता बने। पटना के आईजी संजय सिंह आईआईटी से इंजीनियरिंग पढ़ कर ही आईपीएस बने। संजय सिंह के निर्देश पर ही पटना के एसएसपी ने 27 जुलाई को ही एक विशेष जांच दल (एसआईटी) मुंबई भेजा। ये एसआईटी 25 जुलाई को सुशांत के पिता के के सिंह की तरफ से मिली शिकायत पर दर्ज एफआईआर के बाद बनी।

कानूनी जानकार कहते हैं कि किसी मामले में एक राज्य में दर्ज एफआईआर के साथ दूसरे राज्य में उसी मामले में दर्ज एफआईआर में समाहित किया जा सकता है। लेकिन, यहां मुबंई पुलिस ने पूरे मामले में हिंदी सिनेमा से जुड़े पूर्ववर्ती मामलों की तरह एफआईआर दर्ज ही नहीं की है। सुशांत की पूर्व मैनजेर दिशा सालियान की कथित आत्महत्या के मामले की तरह सुशांत की कथित आत्महत्या के मामले में भी पुलिस ने बस एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) दाखिल की है। एक राज्य की पुलिस का दूसरे राज्य में जाकर तफ्तीश करना नई बात नहीं है। हाल ही में बिकरू कांड को लेकर दर्ज एफआईआर में इसीलिए विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस ने यूपी पुलिस को सौंप दिया था।

सुशांत की संदिग्ध मौत के मामले की रिपोर्ट राजीव नगर, पटना थाने में दर्ज है। रिया चक्रवर्ती चाहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट उनकी अर्जी मानकर पूरे मामले की जांच मुंबई पुलिस के पास ही रहने दे। किसी आरोपित की अपील पर फैसले करते समय अदालतें ऐसे मामलों में बहुत चौकन्नी रहती हैं। यहां रिया चक्रवर्ती के मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के उन दिग्गज लोगों से संपर्क सार्वजनिक हो चुके हैं, जिनसे राज्य की सत्ता और पुलिस मशीनरी पहले भी प्रभावित रही है। पूछताछ के लिए बड़े फिल्मकारों को घटनास्थल वाले थाने न बुलाकर उनके घर और दफ्तरों के नजदीकी थानों में पूछताछ करने से मुंबई पुलिस ने अपनी छवि और प्रभावित की है।

सर्वोच्च न्यायालय में बिहार पुलिस ने इस मामले में कैविएट (फैसले से पहले अपना पक्ष भी सुने जाने की गुहार) दाखिल की है। चर्चित वकील मुकुल रोहतगी बिहार पुलिस की नुमाइंदगी करेंगे। उधर, बिहार पुलिस की मुंबई में नुमाइंदगी कर रहे राजीव नगर के थाना प्रभारी निशांत कुमार और उनकी टीम में शामिल इंस्पेक्टर मनोरंजSन भारती, सब इंस्पेक्टर कैसर आलम व दुर्गेश गहलोत अपनी जांच में काफी कुछ जानकारी अब तक इकट्ठा कर चुके हैं। मुंबई पुलिस की जांच सूबे के गृहमंत्री अनिल देशमुख के उन निर्देशों पर हो रही है कि कहीं सुशांत ने हिंदी सिनेमा के किसी खेमे से परेशान होकर तो आत्महत्या नहीं की, वहीं बिहार पुलिस की जांच का एंगल पूरी तरह आपराधिक है। वह ये जांच कर रही हैं कि कहीं सुशांत की जान उनकी संपत्ति की वजह से तो नहीं चली गई।

जिस तरह बिहार पुलिस की टीम को 28 जुलाई को बांद्रा के डीसीपी ने दिन भर अपने दफ्तर के बाहर बिठाकर रखा, उससे भी दोनों सूबों की पुलिस के रिश्तों में खटास आई है। पटना के आईजी संजय सिंह पूरे मामले पर खुद नजर बनाए हुए हैं। सुशांत की मुंबई में रहने वाली बहन मीतू और सुशांत के करीबी दोस्त महेश शेट्टी के बयान बिहार पुलिस की जांच के अहम बिंदु होने वाले हैं। दोनों ने बिहार पुलिस से अपनी बात कह दी है और सूत्रों की मानें तो ये बयान रिया के लिए परेशानी खड़ी करने वाले हैं और बिहार पुलिस को सुशांत के तीन बैंक खातों से भी अहम सबूत हाथ लगे हैं।

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