बिहार के जमालपुर में मौजूद रेलवे प्रशिक्षण संस्थान को बिहार से लखनऊ स्थानांतरित करने के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच रार बढ़ती जा रही है. अब बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने इस मामले को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने अपने ट्वीट में बताया- “जमालपुर में स्थित इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मेकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (IRIMEE) को मुंगेर से बाहर शिफ्ट करने को लेकर रेल मंत्रालय के आदेश पर बिहार ने सख्त प्रतिक्रिया जताई थी. मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने इस मामले में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से दखल देने को कहा था.”

 

उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार ने एक मई को रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया था. IRIMEE रेलवे और बिहार की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करता है. बिहार के साथ इसका बहुत ऐतिहासिक संबंध है, जिसे मजबूत किए जाने की जरूरत है न कि इसे बिहार से अलग किए जाने की.

उन्होंने आगे कहा- “देश का यह सबसे पुराना केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान एक प्रतिष्ठित संस्थान है और बिहार का गौरव रहा है. इसकी स्थापना 1888 में हुई. आईआरआईएमईई जमालपुर 1927 से भारतीय रेलवे के शीर्ष प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने के लिए सबसे प्रतिष्ठित केंद्र रहा है. 93 साल की विरासत को इतने बेशर्मी से कैसे मिटाया जा सकता है?”

इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस फैसले की आलोचना की थी और बिहार को इसके लिए लड़ने का सुझाव दिया था. सिन्हा ने ट्वीट में लिखा, ”यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार ने बिहार के जमालपुर में दशकों पुराने रेलवे प्रशिक्षण संस्थान को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है. लॉकडाउन के दौरान ऐसा करना बेहद ही बुरी बात है. बिहार को इसके लिए लड़ना होगा.”

ये मुद्दा राजनीतिक रूप लेता जा रहा हैं क्योंकि बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया हैं. उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर केंद्रीय रेल मंत्रालय के आदेश को लखनऊ से जमालपुर वापस लेने के लिए आग्रह किया है. नीतीश कुमार का स्टैंड को गलत करार नहीं दिया जा सकता. कोरोना के बीच बिहार बीजेपी की माने तो यह फैसला अनावश्यक है.

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