स्कंद पुराण के वैष्णव खंड सात में अयोध्या महात्म्य का जिक्र करते हुए श्लोक 18 से 25 में भगवान राम के जन्मस्थान का न सिर्फ महत्व बताया गया है, बल्कि आस-पास के पौराणिक स्थलों का जिक्र करते हुए एक-एक इंच माप भी तय की गई है। अब उसी गर्भगृह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को भूमिपूजन कर पहली ईंट रखेंगे।

श्रीरामजन्मभूमि मंदिर कई मायने में अद्भुत और अकल्पनीय होगा। भक्तों को सिंहद्वार से ही करीब सवा तीन सौ फुट दूर गर्भगृह में विराजमान रामलला के दर्शन होंगे। पूरब स्थित मुख्य सिंहद्वार के अलावा प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप से होकर दो और बड़े द्वार होंगे। गर्भगृह का परिक्रमा पथ भी खुला रहेगा।
भूमिपूजन अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी परिसर में निरीक्षण के दौरान राममंदिर के कॉरिडोर और परिसर की भव्यता को लेकर अहम सुझाव दे सकते हैं। सोमपुरा परिवार भी उन लम्हों का इंतजार कर रहा है, जब भूमिपूजन के साथ उनके डिजाइन पर भव्य राम मंदिर निर्माण शुरू होगा। राममंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा के पुत्र आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा व निखिल सोमपुरा अहमदाबाद से अयोध्या पहुंच चुके हैं।
परिवार के अनुसार राममंदिर को खास नागर शैली में बनाया जाएगा। मंदिर दो की जगह अब तीन मंजिला होगा। मुख्य ढांचा वैसा ही रखा गया है, जैसा प्रस्तावित मॉडल में था।
नए डिजाइन के साथ भव्यता का वैभव
वास्तुकार के मुताबिक भारतीय मंदिरों के स्थापत्य की तीन शैलियां हैं- नागर, द्रविड़ और वेसर। राम मंदिर को उत्तरभारत की प्रचलित नागर शैली में डिजाइन किया गया है। इस शैली में मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय आकार में होता है और मंदिर की परिधि वृत्ताकार बनाई जाती है। गुजरात में सोमनाथ मंदिर भी इसी शैली में बना है। मूल डिजाइन में बदलाव के बाद अब मंदिर में 318 खंभे बनेंगे।

मंदिर की लंबाई 360 फुट, चौड़ाई 235 फुट और ऊंचाई 161 फुट होगी। मंदिर के गर्भगृह से पहले तीन शिखर वाले स्थान होंगे। सबसे पहले भजन-कीर्तन का स्थान, दूसरे में ध्यान और तीसरे में राम लला के दर्शन की व्यवस्था होगी।
गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं
गर्भगृह में पुजारी के अलावा और किसी को जाने की अनुमति नहीं होगी। मंदिर के दूसरे तल पर राम दरबार होगा, जहां भगवान राम, सीता और लक्ष्मण-भरत, शत्रुघ्न के साथ हनुमान भी विराजमान होंगे।

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