केदारनाथ दर्शन की इच्छा रखने वालों के लिए खुशखबरी है। देशभर में चल रहे लॉकडाउन के बीच मंदिर तक पहुंचाने वाले रास्ते को साफ करने का काम लगातार जारी है। इस काम में भी सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए एक-दूसरे से दूरी बनाकर रास्ता साफ किया जा रहा है। भीम बली से केदारनाथ मंदिर तक का रास्ता कुल 9 किमी का है। यह रास्ता पूरी तरह बर्फ से ढंक हुआ है। अब 95 लोगों की टीम इस बर्फ को धीरे-धीरे हटाने का काम कर रही है। हालांकि, एक दिन में 300 मीटर रास्ता ही साफ हो पा रहा है। 1 मार्च से रास्ते की सफाई का काम शुरू हुआ था। इसे 20 अप्रैल तक पूरा किया जाना है। केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को शुरू होंगे।

बर्फ हटाने के काम में लगी वुडस्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी के मैनेजर मनोज सेमवाल ने भास्कर से बातचीत में बताया कि इस बार मौसम बहुत ज्यादा खराब था, इसलिए जमकर बर्फबारी हुई। बर्फ इतनी गिरी कि हम लोगों को पहाड़ी से नीचे आना पड़ा था। जिस रास्ते को साफ किया जा रहा है, उसमें 3 फीट गहराई तक बर्फ जमा है। मंदिर के नजदीक 7 फीट गहराई तक बर्फ जमी है। किसी भी तरह की मशीनें यहां आ नहीं सकतीं, इसलिए गेंती-फावड़े से ही धीरे-धीरे बर्फ  हटाई जा रही है। रास्ते में जगह-जगह स्थित ग्लेशियर बड़ी परेशानी पैदा कर रहे हैं। इसके चलते एक दिन में 300 मीटर का रास्ता ही साफ हो पा रहा है।दारनाथ में इन दिनों रात का टेम्प्रेचर माइनस 3 डिग्री और दिन में 12 से 15 डिग्री है। जो कंस्ट्रक्शन कंपनी रास्ता साफ करने का काम कर रही है, उसे आर्मी से रिटायर हुए तीन लोगों ने ही शुरू किया था। ये लोग पहले नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग का हिस्सा भी रहे हैं।

मनोज सेमवाल कहते हैं कि पिछले पांच सालों से हम केदारनाथ में ही रह रहे हैं। पिछले साल खराब मौसम के कारण नीचे आना पड़ा। वरना इसके पहले तक पहाड़ी पर ही रहते थे। नेपाल, उत्तराखंड और यूपी के लोग कंस्ट्रक्शन वर्क में शामिल हैं। एक लेबर को 18 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। साथ ही कैम्प में इन लोगों के ठहरने, खाने-पीने का इंतजाम किया गया है।

इस साल केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खुलेंगे। 29 अप्रैल को सुबह 6.30 बजे से दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाएगा। फिर यह सिलसिला नवंबर तक चलेगा। दोपहर 3 से 5 बजे के बीच मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। शाम 5 बजे के बाद फिर दर्शन शुरू होते हैं। फिर शाम 7.30 बजे होने वाली शयन आरती के बाद अगले ही दिन दर्शन शुरू होते हैं।

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