इस बार 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण का कोई अशुभ प्रभाव नहीं माना गया। दरअस ज्योतिषियों के अनुसार  उप छाया ग्रहण  का कोई सूतक नहीं लगता है।

ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के 9 घंटे पहले से सूतक लगने शुरू हो जाते हैं। इस सूतक काल में पूजा पाठ और अन्य कार्य वर्जित माने गए हैं। हालांकि उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक का प्रभाव नहीं होता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैष लेकिन ग्रहण खत्म होने के बाद घर में गंगा जल छिड़क कर ही पूजा पाठ शुरू करें।

दरअसल चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण। 5 जून को लगने वाले इस ग्रहण को मलिन ग्रहण भी कहते हैं। इस ग्रहण को स्ट्राबेरी चंद्र ग्रहण का नाम दिया जा रहा है। दरअसल वाइल्ड स्ट्राबेरी इस महीने के दौरान ही पकना शुरू होती हैं, जिसके कारण इस चंद्र ग्रहण को स्ट्राबेरी चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है। आपको बता दें कि इस साल लगने वाले दो और चंद्र ग्रहण भी उपछाया चंद्र ग्रहण होंगे। एक ग्रहण 4 औऱ पांच जुलाई को लगेगा और दूसरा चंद्र ग्रहण 29 से 30 नवंबर को लगेगा। यह चंद्र ग्रहण कुल 3 घंटे और 18 मिनट का होगा।

5 जून 2020 चंद्र ग्रहण
रात्रि को 11 बजकर 15 मिनट से  6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक
कहां दिखाई देगा:  यूरोप, अफ्रीक, एशिया और ऑस्ट्रेलिया

क्या है उपछाया चंद्र ग्रहण: चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य जब एक सीध पर होते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है तो चंद्र ग्रहण माना जाता है। लेकिन इस बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया के बाहरी किनारे (पृथ्वी की उपछाया) से होकर गुजरेगा। यानी चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में छिपेगा नहीं।

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