किसान आंदोलन खत्म करने के लिए केन्द्र सरकार पेश कर सकती है यह समाधान, क्या मानेगा अन्नदाता?

नए तीन कृषि कानूनों को समाप्त करने की मांग पर अड़े आंदोलनरत किसान संगठनों को मनाने के लिए सरकारी यानि कार्यकारी आदेश के जरिये केंद्र कानूनों में आवश्यक प्रावधान जोड़ सकता है। इससे किसानों की उन चिंताओं को दूर किया जा सकता है, जिन्हें लेकर वह आंदोलन कर रह हैं। इसके अलावा अन्य मांगों को पूरा करने के लिए संबंधित कानूनों के नियमों में बदलाव किए जाने की संभावना है। हालांकि किसान संगठन इसके लिए तैयार होंगे, इसकी उम्मीद कम है।

कृषि मंत्रायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुरुवार की बैठक में किसान संगठनों की ओर से नए तीन कृषि कानूनों को लेकर आपत्तियों पर विचार किया गया है। इसके तहत किसानों की प्रमुख मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को यथावत जारी रखने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का प्रस्ताव दे सकती है। ऐसा करने से किसानों की चिंता दूर हो जाएगी और मंडियों व खुले बाजार में कृषि उपज एमएसपी पर बिकने का रास्ता साफ हो जाएगा।

ठेका खेती में किसान व कंपनी के बीच विवाद होने पर एसडीएम-डीएम कोर्ट के अलावा किसानों को अदालत की शरण में जाने का विकल्प रहेगा। इस कानून के नियमों में बदलाव किया जा सकता है। आवश्यक खाद्य नियम में खरीद की सीमा हटाने को लेकर पैन कार्ड के अलावा कंपनी को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा खुले बाजार में टैक्स लागू करने अथवा राज्य सरकार से सरकारी मंडियों मे टैक्स समाप्त करने की अपील कर सकती है। इस दिशा में सरकार पहल कर सकती है।

इसके अलावा संशोधित बिजली विधेयक, पराली पर जुर्माना, किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने जैसी मांगों को मान लेने की संभावना है। अधिकारी ने बताया कि तीनों कृषि कानून में संशोधनों के जरिए किसानों की मांग पूरी कर किसानों से आंदोलन समाप्त करने का प्रयास किया जाएगा। किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि पहले संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों कृषि कानून रद्द किए जाएं।

इसके बाद एमएसपी को लेकर नया कानून बनाया जाए जिसमें किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व हो। सरकार इसके लिए तैयार नहीं है, जिससे टकराव व आंदोलन समाप्त होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

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