विशेष ट्रेनों के पटरी पर उतरने के बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की रफ्तार घटती जा रही है। हालांकि अभी भी लॉकडाउन के दौरान जगह-जगह फंसे लोगों को उनके गृह प्रदेश तक इस ट्रेन के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है। बुधवार सुबह दस बजे तक 81 श्रमिक ट्रेनें ट्रैक पर थी। एक मई से शुरू इन ट्रेनों से 57 लाख श्रमिक गृह प्रदेश पहुंचाए जा चुके हैं।

हालांकि रेलवे ने 58 लाख से अधिक प्रवासी यात्रियों को उनके घर पहुंचाने का दावा किया। एक मई से तीन जून तक 4197 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, गुजरात राज्य से सबसे ज्यादा ट्रेनों को रवाना किया। इस राज्य से 1026 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें अब तक चली है तो महाराष्ट्र से 802, पंजाब से 416, बिहार से 294 और उत्तर प्रदेश से 294 ट्रेन अन्य प्रदेशों के लिए रवाना हुई।

अधिकारिक आंकड़े के अनुसार सबसे अधिक ट्रेनें उत्तर प्रदेश श्रमिकों को लेकर पहुंची। इस राज्य में 1682 ट्रेन पहुंची तो बिहार में 1495 ट्रेनें, झारखंड में 197, ओडिशा में 187 ट्रेनें और पश्चिम बंगाल में 156 ट्रेनें पहुंचीं।

श्रमिक ट्रेनें रद्द करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश आगे
रेलवे के मुताबिक, एक से 31 मई तक उसने 4040 श्रमिक ट्रेनों का संचालन किया। इस दौरान महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने 256 ट्रेनों को रद्द भी किया। इस दौरान महाराष्ट्र ने 105, गुजरात ने 47, कर्नाटक ने 38 और उत्तर प्रदेश ने 30 ट्रेनें रद्द की।

दिल्ली से महज एक या दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन हो रही है रवाना
दिल्ली से श्रमिक ट्रेन की रवानगी अब बिलकुल कम हो गई है। 2 जून को महज 2 ट्रेनें 2316 यात्रियों को लेकर रवाना हुई। जबकि 20 मई को सबसे अधिक 33 ट्रेनें दिल्ली के विभिन्न स्टेशनों से रवाना हुई थी। इस दिन 41,695 मजदूर दिल्ली से रवाना हुए थे। यह संख्या 21 मई को घटकर 30 हुई तो 22 व 23 मई को 25-25 ट्रेनें रवाना हुई। यह संख्या धीरे-धीरे घटती चली गई। 30 मई को 10 श्रमिक स्पेशल चली तो 31 मई को यह संख्या घटकर 6 पहुंच गई और 1 जून को महज 1 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई।

1885 करोड़ रुपये का नुकसान
रेलवे को लॉकडाउन में करोड़ों रुपये का नुकसान भी उठाना पड़ा। इस दौरान ट्रेनों का संचालन नहीं होने के कारण पहले से बुक टिकट को निरस्त कर पैसा लौटाना पड़ा। रेलवे के अधिकारिक आंकड़े के अनुसार, 21 मार्च से 31 मई के बीच बुक किए गए सभी टिकट को रेलवे ने रिफंड किया। रेलवे को 1885 करोड़ रुपये ऑनलाइन टिकट रद्द कर लौटाने पड़े।

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