लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं धीरे-धीरे गति पकड़ रही हैं। सरकार त्रुटिपूर्ण डिजाइन से सड़क हादसे होने की स्थिति में निर्माण कंपनियों पर एक लाख जुर्माना लगाने की तैयारी कर रही है। इतना ही नहीं डिजाइन को मंजूरी देने वाले सरकारी बाबू व कंसल्टेंट अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। सरकार जून के अंत अथवा जुलाई के पहले हफ्ते में अधिसूचना जारी कर सकती है।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नया कानून पहली अप्रैल को लागू करना था, लेकिन देशभर में लॉकडाउन के कारण इसे टाल दिया गया। उन्होंने बताया कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 के सेक्शन 198 में निर्माण कंपनी-ठेकेदार पर राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की डिजाइन खामी होने पर जुर्माने व कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। इसके तहत निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल, रख रखाव में लापरवाही आदि होने पर उक्त कार्रवाई की जाएगी।

विदित हो कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। इसलिए निर्माण कंपनी, ठेकेदार व अधिकारी बचकर निकल जाते थे और उन्हें सड़क निर्माण का पूरा भुगतान भी किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। राजमार्ग की डिजाइन मंजूर करने वाले सरकारी बाबू व सड़क परियोजना का डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने वाली कंसल्टेंट अधिकारी पर कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान है।

अधिकारी ने बताया कि नए सेक्शन में राज्य राजमार्ग व जिला सड़कों को भी इंडियन रोड कांगे्रस (आईआरसी) के मानक के दायरे में लाया जाएगा। जिससे राज्य एजेंसी पीडब्ल्यूडी अधिकारी व छोटे ठेकेदार भी जुर्माना व कानून की जद में होंगे।

सड़क दुर्घटनाओं में 880 लोगों की मौत हुई

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सार्वजनिक समरोहों में इस बात का उल्लेख किया है कि डिजाइन में त्रुटि के कारण बड़ी संख्या में सड़क हादसों में लोगों की मौत हो रही है। इस पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। 2016 में नागपुर में त्रुटिपूर्ण डिजाइन के कारण 1100 से अधिक सड़क हादसे व 578 लोगों की मृत्यु हुई। इसी कड़ी मे पंजाब सरकार ने नवंबर 2019 में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 (जीटी रोड) के 212 किलोमीटर पर सड़क सुरक्षा अध्ययन किया। इसमें तीन साल में त्रुटिपूर्ण डिजाइन के कारण सड़क हादसों में 880 लोगों की मौत व 525 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

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