रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल राजेन्द्र सिंह ने कहा कि सीमा पर यह गतिरोध चीन की तरफ से पैदा किया गया है। इसलिए तुरंत इसका समाधान निकल जाने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन जो बयान जारी हुआ है, वह सकारात्मक है। इससे लगता है कि अभी बातचीत और होगी उसके बाद ही पूर्वी लद्दाख में कायम गतिरोध खत्म होगा।

उन्होंने कहा कि इसमें अभी और समय लग सकता है। मई से पहली की स्थिति की बहाली के बाद ही गतिरोध खत्म माना जाएगा। भारत विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा गया है कि हाल के हफ्तों में भारत और चीन ने सीमा क्षेत्रों में स्थिति को संबोधित करने के लिए स्थापित राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखा है। यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन के शहर वुहान में 2018 में ऐतिहासिक अनौपचारिक शिखर-वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों के विकास के हित में भारत-चीन सीमा के सभी क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया था।

सड़क निर्माण पर है तीखा विरोध: सूत्रों का कहना है कि मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण का चीन द्वारा तीखा विरोध है। गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर चीन के विरोध को लेकर भी गतिरोध है।

पिछले माह शुरू हुआ था गतिरोध: पिछले महीने मई की शुरुआत में दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हुआ था। भारतीय सैन्य नेतृत्व की ओर से फैसला किया गया था कि भारतीय जवान पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीन के सैनिकों के आक्रामक रवैये के खिलाफ दृढ़ रुख अपनाएंगे।

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