भारत ने चीन के साथ सीमा विवाद और उससे निपटने के प्रयासों पर अपने परंपरागत मित्र देश रूस और प्रमुख रणनीतिक साझेदार अमेरिका को भरोसे में लिया है। दोनों देशों को घटनाक्रम से अवगत कराया गया है। जानकार इसे भारत की अहम मुद्दों पर मित्र देशों को अपडेट करने और भरोसा हासिल करने की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।

सूत्रों ने कहा, “भारत ने पिछले कुछ महीनों में देश मे सभी बड़े घटनाक्रम पर मित्र देशों को जानकारी दी है और उन्हें भरोसे में लिया है। कश्मीर में धारा 370 समाप्त होने के बाद भी भारत ने बड़े पैमाने पर कूटनीतिक कवायद करते हुए पाकिस्तान के दुष्प्रचार एजेंडा को ध्वस्त किया था।” सूत्रों ने कहा चीन के साथ सीमा विवाद पर दुनिया के कई देशों की निगाह है।

लद्दाख में तनातनी के बीच भारत और चीन में बनी सहमति, मोदी-शी के मंत्र पर शांति से सुलझाएंगे विवाद

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता प्रस्ताव को भारत और चीन दोनों ने खारिज कर दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच सीमा की स्थिति पर बात हुई थी। भारत ने अमेरिका को बताया था कि भारत और चीन के बीच विवादों के निपटारे के लिए मैकेनिज्म हैं। उनके तहत दोनों देश बातचीत कर रहे हैं।

गौरतलब है कि भारत – चीन के बीच कई राउंड की कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई रास्ता नहीं निकला है। फिलहाल दोनों देश तनाव कम करने और शांतिपूर्ण तरीके से विवाद के समाधान के लिए सहमत हुए हैं। दोनों देशों ने आगे बातचीत जारी रखने को कहा है।

सैन्य कमांडरों की बैठक में बनी सहमति के बाद चीन ने कहा, मतभेद नहीं बनना चाहिए विवाद

दोनों सेनाओं के बीच उस समय गतिरोध शुरू हुआ जब भारत द्वारा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी के साथ-साथ पेगोंग झील के आसपास फिंगर इलाके में महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण शुरू किया गया और चीन ने इसका विरोध किया।

5 मई को भारत और चीन की सेना में झड़प
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब खराब हुई जब बीते पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था, जिसमें दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे। यह घटना अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष ”अलग” हुए, लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।

डोकलाम को लेकर भी लंबा चला था गतिरोध
वर्ष 2017 में डोकलाम तिराहा क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा कही जाने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, जबकि भारत का कहना है कि यह उसका अभिन्न अंग है। चीन, जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन किए जाने और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम की निन्दा करता रहा है। लद्दाख के कई हिस्सों पर बीजिंग अपना दावा जताता है।

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