चीन के साथ सीमा विवाद के बीच भारत भारत पूर्वी लद्दाख में चीन की सीमा के पास दो प्रमुख सड़कों पर काम कर रहा है। पहली सड़क दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएस-डीबीओ) है जो देश के उत्तरी-सबसे चौकी, दौलत बेग ओल्डी को कनेक्टिविटी प्रदान करती है, दूसरी सड़क जो ससोमा से सेसर ला तक बनाई जा रही है, अंततः काराकोरम पास के पास डीबीओ को एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान कर सकती है।

दोनों परियोजनाओं को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है, जो रणनीतिक सड़कों के निर्माण के लिए लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन की सीमा के पास के क्षेत्रों में 11,815 श्रमिकों को पार कर रहा है, जैसा कि 31 मई को हिंदुस्तान टाइम्स ने पहली रिपोर्ट दी थी।

31 मई को हिंदुस्तान टाइम्स की पहली रिपोर्ट के अनुसार दोनों परियोजनाओं को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है, जो रणनीतिक सड़कों के निर्माण के लिए लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन की सीमा के पास के क्षेत्रों में 11,815 श्रमिकों से काम ले रहा है। भारत लद्दाख सेक्टर सहित आगे के क्षेत्रों में रणनीतिक सड़क परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए चीन के साथ सीमा टकराव की अनुमति नहीं दे रहा है, जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ चार स्थानों पर दोनों राष्ट्रों के सैनिक भिड़ गए थे।

इधर, भारत ने चीन के साथ सीमा विवाद और उससे निपटने के प्रयासों पर अपने परंपरागत मित्र देश रूस और प्रमुख रणनीतिक साझेदार अमेरिका को भरोसे में लिया है। दोनों देशों को घटनाक्रम से अवगत कराया गया है। जानकार इसे भारत की अहम मुद्दों पर मित्र देशों को अपडेट करने और भरोसा हासिल करने की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।

सूत्रों ने कहा, “भारत ने पिछले कुछ महीनों में देश मे सभी बड़े घटनाक्रम पर मित्र देशों को जानकारी दी है और उन्हें भरोसे में लिया है। कश्मीर में धारा 370 समाप्त होने के बाद भी भारत ने बड़े पैमाने पर कूटनीतिक कवायद करते हुए पाकिस्तान के दुष्प्रचार एजेंडा को ध्वस्त किया था।” सूत्रों ने कहा चीन के साथ सीमा विवाद पर दुनिया के कई देशों की निगाह है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here