भारत और चीनी सेना के कमांडर पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो जैसे टकराव वाले स्थानों से पीछे हटने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए आज रविवार को मोल्डो में नए सिरे से बातचीत करेंगे। हालांकि पहले ऐसी खबर थी कि दोनों देशों के बीच होने वाली कमांडर स्तर की बातचीत टल गई है लेकिन भारत के दबाव के आगे चीन को झुकना पड़ा।

सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की पांचवे चरण की वार्ता में मुख्य ध्यान टकराव वाले स्थानों से सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने और दोनों सेनाओं के पीछे के अड्डों से बलों एवं हथियारों को हटाने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर होगा।
सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी जब क्षेत्र में तनाव कम करने के तरीकों पर एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच लगभग दो घंटे फोन पर बातचीत हुई। बता दें कि पिछले 13 हफ्तों से पूर्व लद्दाख में भारत और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध जारी है।

अब तक भारत और चीनी सेना के बीच चार बार कमांडर स्तर की वार्ता, भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच दो बार डब्ल्यूएमसीस की बैठक और अजीत डोभाल और वांग यी के बीच एक आभासी मुलाकात हो चुकी है। इससे पहले उत्तरी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने बताया था कि जब तक यथास्थिति हासिल नहीं हो जाती तब तक सेना जमीन पर तैनात रहेगी।

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चीनी सेना गलवां घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पहले ही पीछे हट चुकी है लेकिन भारत की मांग के अनुसार पैंगोंग त्सो में फिंगर इलाकों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि चीन को फिंगर फोर और फिंगर एट के बीच वाले इलाकों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए।

दोनों पक्षों के बीच 24 जुलाई को, सीमा मुद्दे पर एक और चरण की कूटनीतिक वार्ता हुई थी। वार्ता के बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के तहत एलएसी के पास से सैनिकों का जल्द एवं पूरी तरह पीछे हटना जरूरी है।

सूत्रों ने कहा कि भारत ने चीन को एक कड़ा संदेश दे दिया है कि उसे पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करना ही होगा जैसा कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की चौथे चरण की वार्ता में तय हुआ है।

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