महाराष्ट्र के अकोला में सामाजिक सौहार्द का बेमिसाल नमूना देखने को मिला है। यहां एक कोविड-19 रोगी की मौत के बाद जहां उसके बेटे समेत अन्य परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया, वहीं मुस्लिम समाज ने इंसानियत का परिचय देते हुए हिंदू रीति-रिवाज से उस कोरोना संक्रमित व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया। यह खबर सोशल मीडिया में वायरल हो रही है।

अकोला की यह घटना किसी गरीब घराने की नहीं, बल्कि एक अमीर परिवार की है। परिवार के एक बुजुर्ग कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के वार्ड में भर्ती थे जहां उनकी मौत हो गई। उनकी मौत की जानकारी अस्पताल विभाग ने परिजनों को दी, लेकिन मौत के 24 घंटे बाद भी घरवाले शव को लेने को तैयार नहीं हुए।

नगर निगम ने पूरी किट देने के लिए भी कहा था: नगर निगम ने परिवार से संपर्क कर उन्हें अंतिम संस्कार के लिए लगने वाली पूरी किट देने की बात कही। इसके बावजूद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था। इसके बाद शव के संस्कार का जिम्मा नगर निगम के पास आ गया। ऐसे में अकोला के कच्ची मेमन जमात ट्रस्ट के जावेद जकेरिया और उनके तमाम कार्यकर्ताओं ने अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया।

हिंदू रीति रिवाज के तहत अंतिम संस्कार: हिंदू रीति-रिवाज के तहत इन मुस्लिम युवकों ने अकोला स्थित मोहता मिल श्मशान भूमि में बुजुर्ग शख्स को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम ने कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए युवकों को पीपीई किट मुहैया करवा दी थी।

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