बिहार की बेटी ज्योति के हौसले और हिम्मत की चर्चा अमेरिका तक पहुंच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने ज्योति के हौसले को सराहा है और उसकी संघर्षपूर्ण कहानी को अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा किया है। अब आप सोच रहे होंगे कि ज्योति ने ऐसा क्या किया कि इवांका ट्रंप उनकी मुरीद हो गई। दरअसल, दरभंगा के सिरहुल्ली गांव की ज्योति लॉकडाउन के दौरान अपने बीमार पिता को लेकर साइकिल से गुड़गांव से दरभंगा पहुंच गई। तकरीबन 12 सौ किलोमीटर के इस संघर्षपूर्ण सफर को हौसले के साथ पूरा किया।

एचटी मीडिया समूह की वेबसाइट लाइव मिंट पर चल रही ज्योति की कहानी को शुक्रवार इवांका ट्रम्प ने ट्विटर पर साझा किया। ‘हिन्दुस्तान’ पहले ही ज्योति की संघर्षपूर्ण कहानी सामने ला चुका था, जिसके बाद कई लोग और संगठन उसकी तथा उसके परिवार की मदद को सामने आए हैं। ज्योति आठवीं की छात्रा है। लिहाजा उसकी पढ़ाई में मदद का भरोसा दिया गया है। साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने ज्योति को अगले महीने ट्रायल के लिए भी बुलाया है। ज्योति ने शुक्रवार को बताया कि उसे एक कॉल आया है। साइकिलिंग फेडरेशन के चेयरमैन ओंकार सिंह ने उसे शाबाशी के साथ आशीर्वाद भी दिया।

आठ दिन में गुड़गांव से पहुंची दरभंगा

दरभंगा की 15 साल की ज्योति जनवरी में अपने बीमार पिता की सेवा के लिए गुड़गांव गई थी। इसी बीच मार्च में लॉकडाउन हो गया और वह गुड़गांव में ही फंस गई। बीमार पिता की जेब खाली थी। पिता और बेटी के समक्ष भूखों मरने की नौबत आ गई। इसी बीच प्रधानमंत्री राहत कोष से एक हजार रुपये खाते में आए। ज्येाति ने कुछ और पैसे मिलाकर पुरानी साइकिल खरीदी और पिता को उस पर बिठाकर गांव लाने की ठानी। पिता पहले नहीं माने पर बेटी के हौसेले के आगे हां कर दी। ज्योति आठ दिनों की कड़ी मेहनत के बाद 12 सौ किलोमीटर साइकिल चलाकर पिता को लेकर गुड़गांव से दरभंगा के सिरहुल्ली पहुंच गई। इस बीच शुक्रवार को राढ़ी पश्चिमी पंचायत के पकटोला स्थित डॉ. गोविंद चंद्र मिश्रा एजुकेशनल फाउंडेशन ने भी ज्योति को नि:शुल्क शिक्षा और उसके पिता मोहन पासवान को नौकरी का प्रस्ताव दिया है। फाउंडेशन ने सिरहुल्ली निवासी मोहन पासवान और उनकी पुत्री ज्योति कुमारी को हरसंभव सहायता करने का निर्णय लिया है।

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