Pappu Yadav arrested– जिसका अंदेशा था वही हुआ, और हो भी क्यों नहीं आखिर पप्पू यादव ने भाजपा के एक रसूखदार सांसद कि सरे-आम एंबुलेंस कांड में किरकिरी जो करवा दी, आए दिन पप्पू यादव बिहार के जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रहे थे, जितना संभव हो पाता था वह बिना कोरोना से डरे अपनी जान की बाज़ी लगाकर लोगों की मदद कर रहे थे। अब भला ऐसे गंभीर अपराध को सरकार नज़रअंदाज़ कैसे करती ।

पप्पू यादव की गिरफ्तारी के मामले में एक नया अपडेट आ गया है। बताया जा रहा है कि पप्पू यादव को एक 32 साल पुराने मामले में गिरफ्तार किया गया है, मामला मधेपुरा के कुमारखण्ड थाने का है जिसका केस नंबर 9/89 है, इसी मामले में कोर्ट ने विगत 22 मार्च 2021 को पप्पू यादव के खिलाफ समन जारी किया था।

मधेपुरा पुलिस पटना पहुँच चुकी है और किसी भी वक़्त वह पप्पू यादव को पटना के गांधी मैदान थाने से मधेपुरा के लिए निकल सकती है।

इस मामले में कई गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं, जैसे कि यदि समन 22 मार्च को हीं निकल चुका था तो मधेपुरा पुलिस ने अब तक पप्पू यादव को गिरफ्तार करने का प्रयास क्यों नहीं किया जबकि पप्पू यादव कहाँ हैं इसकी जानकारी तो सभी को थी, आखिर कौन से मुहूर्त का इंतज़ार कर रही थी मधेपुरा पुलिस। इन प्रश्नों के जवाब मधेपुरा पुलिस और सरकार दोनों को देने चाहिए।

इस बीच पप्पू यादव कि पत्नी और काँग्रेस कि नेत्री रंजीता रंजन का भी इस पूरे घटनाक्रम पर बयान आ गया है। रंजीता रंजन ने पप्पू यादव कि जान को खतरा बताया है। आपको बता दें कि स्वं पप्पू यादव ने भी अपनी गिरफ्तारी के वक्त कहा था कि सरकार उन्हे कोरोना करवाकर मारना चाहती है।

प्रथम दृष्टतया तो यह पूरा मामला बदले कि भावना से प्रेरित लग रहा है, ऐसे में सरकार के किसी जिम्मेदार ऑफिसर या मंत्री को स्थिति और भी अधिक स्पष्ट करने कि आवश्यकता है।

बिहार की जनता को लग रहा है कि जब सरकार को रात-दिन एक कर कोरोना से लड़ना चाहिए तब ऐसे में वह पप्पू यादव से लड़ने में और उन्हे सबक सिखाने में लगी हुई है। शायद इसी का परिणाम है कि पप्पू यादव कि गिरफ्तारी के बाद से हीं ट्विटर पर #releasepappuyadav  सबसे टॉप में ट्रेंड कर रहा है।

पप्पू यादव कि गिरफ्तारी के क्या मायने हैं?

इस कोरोना काल में जब पक्ष और विपक्ष दोनों के हीं नेता कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं, लोग कहाँ जाये किसके पास जाएँ किससे अपनी आपबीती सुनाएँ किससे मदद कि गुहार लगाएँ ऐसे में उनके सामने एक चेहरा था और उस चेहरे का एक नाम था पप्पू यादव।

लोग अपनी शिकायतें ले कर मदद कि गुहार लेकर पप्पू यादव के पास पहुँचते थे, पप्पू यादव से जितना बन पड़ता थे वे उनकी मदद करते थे अगर उनके बस में कुछ भी नहीं होता था तो कम से कम वे स शरीर उपस्थित रहकर हीं उन पीड़ित लोगों का सहारा और आवाज बनने का काम करते थे।

पप्पू यादव कि गिरफ्तारी के बाद बिहार कि जनता को यह लग रहा है कि सरकार ने इस महामारी के समय उनसे उनकी आवाज और लाठी दोनों ही छीनने का काम किया है, जिसका प्रतिकार सोशल मीडिया के कई प्लैटफ़ार्म पर देखने के लिए मिल रहा है।

पप्पू यादव बहूत बड़े मसीहा है, या फिर वे पूरे बिहार कि जनता कि मदद इस कोरोना काल में कर रहे हैं ऐसा भी नहीं है, और ऐसा हो भी नहीं सकता है क्योंकि बिहार केवल पटना तक हीं सीमित नहीं है।  लेकिन पप्पू यादव जिस प्रकार से 24/7 आम लोगों कि मदद के लिए उपलब्ध है, जितना भी उनके बस में रहता है उतने से ही वह लोगों कि सहायता करने का प्रयास करते हैं।

यह भी मान लेते हैं कि पप्पू यादव ने अब तक जितनों कि भी मदद कि वे पूरे बिहार कि कुल आबादी का 1% भी नहीं हों लेकिन इससे उनकी एक छवि लोगों के सामने बन गई है कि वे मुसीबत में लोगों को छोड़ कर भागने वाले नेता नहीं है। पप्पू यादव को देख कर जनता अब अपने नेताओं और प्रतिनिधियों से भी वैसा हीं करने कि उम्मीद करने लगी है जैसा कि पप्पू यादव कर रहे हैं। शायद पप्पू यादव कि गिरफ्तारी के पीछे यह भी एका बड़ा कारण है।

पप्पू यादव प्रतिदिन दिखा रहे थे सरकार को आईना

सरकार को आईने कहाँ पसंद आते हैं, पप्पू यादव बार-बार सरकार के सामने आईना ले कर खड़े हो जाते थे, जिसके कारण सरकार को सब काला- काला दिखने लगता था, सरकार को जन सेवा और जनता के सरोकार से जुड़े निर्णय भी करने थे और कोरोना से भी लड़ना था। इन सबमें पप्पू यादव बहुत बड़ी बाधा थे इसलिए सरकार को लगा कि पहले पप्पू यादव से निपट लें कोरोना को तो बाद में भी देख लेंगे।

सरकार के साथ खड़े दल भी कर रहे हैं पप्पू यादव कि गिरफ्तारी कि निंदा

जीतन राम मांझी ने पप्पू यादव कि गिरफ्तारी कि कठोर शब्दों में निंदा कि है उन्होने पप्पू यादव का समर्थन करते हुए कहा कि यदि नेता और जन प्रतिनिधि अगर दिन रात जनता कि सेवा करे और उसके एवज में उसे गिरफ्तार किया जाये ऐसी घटना मानवता के लिए खतरनाक है।

ऐसे मामलों कि पहले न्यायिक जांच होनी चाहिए उसके बाद हीं कोई कार्रवाई होनी चाहिए नहीं तो जन आक्रोश होना लाज़मी है।

बिहार कि जनता को उम्मीद है कि सरकार उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए पप्पू यादव को जल्द से जल्द रिहा करेगी, और आईना साफ करने के बजाय अपने चेहरे को साफ करने में अपनी ऊर्जा और संसाधनों को खर्च करेगी।

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