लालू द्वारा बिहार की डबल इंजन की सरकार बेकार कहे जाने पर पलटवार करते हुए डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार का महत्व पांच महीने का मुफ्त अनाज पाने वाले गरीब-मजदूर, उज्जवला गैस पाने वाली दलित-पिछड़ा परिवार की महिलाएं और सालाना 6 हजार पाने वाले किसान समझ सकते हैं. बेनामी सम्पत्ति बनाने वाले नहीं समझ सकते हैं.

 

सुशील मोदी ने आगे ट्वीट किया कि बिहार जैसे गरीब राज्य पर लालू-राबड़ी राज्य में विशाल मंत्रिपरिषद थोपा गया. इस पर जनता का जो पैसा खर्च हुआ, उससे कई अस्पताल खुल सकते थे. राजद क्या बिहार पर कबाड़ सरकार थोपने के लिए माफी नहीं मांगेगा?

उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद भूल गए कि उन्होंने राबड़ी देबी की कबाड़ सरकार को कांग्रेस के जुगाड़ से चलाया था. बहुमत साबित करने के लिए कांग्रेस के सभी 35 विधायक मंत्री बना दिये गए थे. स्पीकर का पद भी राजद अपने पास नहीं रख पाया था. मंत्री बनने वालों में पहली बार विधायक बनने वाले अनुभवहीन कबाड़ भी थे.

 

लॉकडाउन के समय दूसरे राज्यों से मजदूरों की वापसी के लिए 1000 बसें भेजने और 50 ट्रेन का किराया देने के बड़बोले दावे करने वाले कोई काम न आये. एनडीए सरकार ने बिहार के 20 लाख मजदूरों को मुफ्त में सकुशल वापस लौटाया और उन्हें गांव-जिले में ही रोजगार देने की भी चिंता की.

इससे लाखों मजदूरों को काम मिलेगा. डबल इंजन की सरकार के इस एक फैसले से अकेले बिहार में 5 लाख से ज्यादा मानव कार्य दिवस सृजित होंगे. केंद्र सरकार ने ज्यादा मजदूरों को काम देने के लिए 40 हजार करोड़ अतिरिक्त दिये, जिससे मनरेगा का बजट 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया.

 

बिहार सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान फँसे लाखों मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए 1600 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलायी थी. अब बिहार के ही अनुरोध पर केंद्र ने रेलवे की परियोजनाओं में पांच तरह के काम मनरेगा से कराने की अनुमति दे दी है.

वहीं उन्होंने कहा कि राज्य के जल-जीवन-हरियाली मिशन में 7 लाख से ज्यादा मजदूरों को काम मिला. अब मनरेगा के तहत रेलवे ने भी स्थानीय मजदूरों के लिए दरवाजे खोल दिये है.