भारत में पहली बार शोधकर्ताओं ने सीवेज में सार्स-कोव-2 वायरस की मौजूदगी का पता लगया है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑप टेक्नॉलजी गांधीनगर (आईआईटी-जीएन) के शोधकर्ताओं को अहमदाबाद के अनट्रिडेट सीवेज से लिए गए सैंपल में कोरोना वायरस के गैर संक्रामक जीन्स मिले हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि शोध के नतीजों से यह पता चलता है कि देश में वेस्ट वाटर आधारित सर्विलांस की आवश्यकता है। इससे कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव का पता लगाने, निगरानी और कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। इस तरीके से क्लिनिकल जांच से पहले ही किसी संभावित हॉटस्पॉट का पता लगाया जा सकता है।

अभी तक ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स, फ्रांस और अमेरिका ने वेस्ट वाटर में कोरोना वायरस के अंश मिलने की बात कही थी। अप्रैल में आईआईटी-जीएन ने इस शोध के लिए दुनिया की 51 यूनिवर्सिटीज के साथ हाथ मिलाया। इनका लक्ष्य है सीवेज के पानी में कोरोना का पता लगाना, ताकि इसकी मदद से संक्रमण का सर्विलांस हो सके और एक वॉर्निंग सिस्टम तैयार हो सके।

आईआईटी-जीएन के प्रफेसर मनीष कुमार ने कहा, ”इसकी इलाके में कोरोना वायरस संक्रमण की मौजूदगी का पता लगाने के लिए वेस्टवाटर एक महत्वपूर्ण जरिया है। क्योंकि कोरोना वायरस लक्षण वाले मरीजों के अलावा बिना लक्षण वाले मरीजों के शरीर से भी मल के द्वारा बाहर आता है।”

कुमार ने आगे कहा, ”हमारा परिणाम, जो संभवत: भारत में पहला है, 8 मई से 27 मई के बीच दिख स्पष्ट रूप से सार्स-कोव-2 जीन की मौजूदगी दिखाता है। हमारी खोज वेस्टवाटर सर्विसांस को प्रभावी ढंग से दिखाती है।” कुमार खोज में मिले तथ्यों को इस सप्ताह के अंत में साइंटिफिक जर्नल को रिव्यू के लिए भेजने वाले हैं।

अध्य्यन से पता चला है कि वेस्टवाटर में मौजूद सार्स-कोव-2 संक्रामक नहीं है। इसके अलावा वायरस के पानी में जिंदा रहने में तापमान भी एक अहम कारक है।

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