हिमाचल व अन्य प्रदेशों के बाद हरियाणा में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। पंचकूला जिले के तीन पोल्ट्री फार्म में से दो के नमूने जांच में पॉजिटिव मिले हैं। पशुपालन विभाग ने राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल की लैब में जांच के लिए नमूनों को भेजा था। दो नमूनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जालंधर लैब की पहली रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई थी।

पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पंचकूला जिले के रायपुररानी कस्बे के गांव खेड़ी में सिद्धार्थ पोल्ट्री फार्म और नेचर पोल्ट्री फार्म डांडलावर गांव घनौली की मुर्गियों में बर्ड फ्लू मिला है। इनमें मरी हुई पांच-पांच मुर्गियों के नमूने लिए गए थे। जिनमें एच5एन8 इन्फ्लुएंजा पाया गया है। यह ज्यादा घातक नहीं है। एच5एन1 इन्फ्लुएंजा सबसे घातक माना जाता है। एसकेएम पोल्ट्री फार्म गांव मौली, पंचकूला की रिपोर्ट निगेटिव आई है।

केंद्र सरकार के दावे को नकारा
पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने छह जनवरी को ही हरियाणा में बर्ड फ्लू की पुष्टि के दावे को नकार दिया। उन्होंने कहा कि जब भोपाल की लैब से पुष्टि ही सात जनवरी की रात को हुई तो इससे पहले कैसे दावा किया जा सकता है। बिना रिपोर्ट आए पुष्टि नहीं की जा सकती। केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान ने कैसे दावा किया, यह वही बता सकते हैं।

दो दिसंबर के बाद मरना शुरू हुईं मुर्गियां
जेपी दलाल ने बताया कि पंचकूला जिले के पोल्ट्री फार्म में दो दिसंबर 2020 के बाद मुर्गियां मरना शुरू हुईं थी। इसे पोल्ट्री फार्म संचालकों ने छिपाकर रखा। हरियाणा के पोल्ट्री फार्म में लगभग 80 लाख मुर्गियां हैं, जिनमें से करीब 16 हजार का रोजाना मरना आम बात है। गुरुवार रात 3738 मुर्गियों की मौत हुई है।

अब यह कदम उठाए जाएंगे: 1.66 लाख मुर्गियां मारीं जाएंगी
जिन दो फार्म में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है, उनके एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले पांच पोल्ट्री फार्म की 1 लाख 66 हजार 128 मुर्गियों को मारकर जलाया या दबाया जाएगा। इसके लिए 59 टीमें गठित कर दी गई हैं। इन पोल्ट्री फार्म के संचालकों को प्रति मुर्गी 90 रुपये मुआवजा दिया जाएगा।

  • एक किलोमीटर के दायरे को संक्रमित जोन और 1 से 10 किलोमीटर के क्षेत्र को निगरानी जोन घोषित किया है। एक से दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले फार्म की मुर्गियों की निगरानी रखी जाएगी।
  • जींद के सफीदों में स्थित पोल्ट्री फार्म की मुर्गियों की भी निगरानी रखी जाएगी।
  • स्वास्थ्य विभाग पोल्ट्री फार्म के कर्मचारियों की जांच करेगा। बर्ड फ्लू की पुष्टि वाले फार्म के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित फार्म में कार्यरत कर्मचारियों को एंटी वायरल दवाइयां दी जाएंगी। पोल्ट्री फार्म के उन कर्मचारियों के नमूने लिए जाएंगे, जिन्हें सर्दी, जुकाम की शिकायत है।

चिकन खाने से बर्ड फ्लू नहीं, मुर्गी को मुंह लगाने से संभव
पशुपालन मंत्री ने कहा कि चिकन खाने से बर्ड फ्लू नहीं होता। जब चिकन 56 डिग्री से अधिक तापमान पर पक जाता है तो उसमें कोई इन्फ्लुएंजा नहीं रहता। हां, बर्ड फ्लू से ग्रसित मुर्गी को मुंह से लगाने पर इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। हरियाणा में 2016 में पहली बार बर्ड फ्लू आया था। जिन क्षेत्रों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है, उसके दस किलोमीटर क्षेत्र में चेक पोस्ट बनाई जाएगी। पोल्ट्री फार्म से मुर्गियों व अंडों की आपूर्ति बाहर नहीं होने दी जाएगी। हर वाहन की जांच करेंगे। इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। मुर्गियां मरने के बाद स्टॉक की आपूर्ति हुई या नहीं, इसका कोई डाटा सरकार के पास नहीं है।

बर्ड फ्लू से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

  • संक्रमित क्षेत्रों से न तो मुर्गियां, न ही अंडा व खाने का दाना बाहर जाएगा।
  • एवियन-प्रजाति के पक्षी, अंडे आदि दूसरे क्षेत्र में भेजने पर प्रतिबंध।
  • पशु पालन मंत्री जयप्रकाश दलाल की मानक सलाह, रोग मुक्त क्षेत्रों में पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों को सही तरीके से पकाकर खाया जा सकता है।
  • एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस गर्मी के प्रति संवेदनशील।
  • पोल्ट्री का उपभोग करने से पहले उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता कि पोल्ट्री या अंडे के सभी भाग पूरी तरह से पके हुए हों
  • चिकन व पोल्ट्री उत्पादों को कभी भी कच्चा खाया जाने वाले पदार्थों के साथ मिलाकर खाने की अनुमति नहीं।
  • खाद्य पदार्थों को तैयार करने में शामिल व्यक्तियों को पोल्ट्री या कच्चे पोल्ट्री उत्पाद रखने या इधर-उधर करने पर अपने हाथों को साबुन और गर्म पानी से अच्छी तरह से धोना चाहिए।
  • पोल्ट्री उत्पादों के संपर्क में आने वाली सतहों को साफ और कीटाणुरहित करना चाहिए।
  • पोल्ट्री में बर्ड फ्लू बीमारी की संभावना होने वाले क्षेत्रों में कच्चे अंडे का उपयोग उन खाद्य पदार्थों के साथ नहीं किया जाना चाहिए जो खाने से पहले पूरी तरह से पकाया नहीं जाता।
  • आज तक कोई भी ऐसा सबूत नहीं कि एवियन इन्फ्लूएंजा से दूषित होने के बावजूद अच्छी तरह से पकाए गए पोल्ट्री या पोल्ट्री उत्पादों को खाने के बाद कोई व्यक्ति संक्रमित हो गया हो

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