हिमाचल में इस सप्ताह बिजली की नई दरें घोषित हो सकती हैं। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के सुझावों और आपत्तियों के आधार पर रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली है। बिजली बोर्ड ने साढ़े आठ फीसदी की दर से दरों में बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव फरवरी में भेजा था। मार्च में कोरोना वायरस के चलते हालात बदल गए हैं। ऐसे में इस साल बिजली की दरें बढ़ने के आसार बहुत कम हैं। हालांकि, बोर्ड के घाटे को किस तरह पूरा किया जाना है। इसको लेकर भी आयोग मंथन कर रहा है। ऐसे में कोरोना वायरस की मार झेल रही जनता पर क्या आर्थिक बोझ बढ़ेगा या इस साल बिजली दरों में राहत मिल जाएगी। इसका खुलासा इस सप्ताह के अंत तक होने की संभावना है।

प्रदेश सरकार बिजली के प्रति यूनिट स्लैब पर कोविड सेस भी लगाने का विचार कर रही है। बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में इसको लेकर विस्तृत चर्चा हुई। बिजली बोर्ड से इस संदर्भ में रिपोर्ट मांगी गई है। ऐसे में आसार जताए जा रहे हैं कि प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं पर दोहरा आर्थिक बोझ सरकार नहीं डालेगी। प्रति स्लैब पर ही कोविड सेस लगाकर राजस्व जुटाने का प्रयास किया जाएगा। बिजली की दरों को इस साल नहीं बढ़ाया जाए। बिजली बोर्ड ने विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरों में 8.73 फीसदी की बढ़ोतरी मांगी है। 487 करोड़ के राजस्व घाटे का हवाला देते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 6000 करोड़ के वार्षिक राजस्व की जरूरत बताई है।

बीते साल के मुकाबले इस बार बोर्ड ने 882 करोड़ की अधिक मांग की है। बोर्ड ने आयोग को भेजी पिटीशन में सूबे के करीब 20 लाख घरेलू उपभोक्ताओं और 30 हजार औद्योगिक घरानों को दी जाने वाली बिजली सप्लाई को 8.73 फीसदी की दर से बढ़ाने की मांग की है। साल 2019 में आयोग ने बोर्ड के 5117.95 करोड़ के वार्षिक राजस्व जरूरत को पूरा करने के लिए घरेलू बिजली प्रति यूनिट पांच पैसे और उद्योगों को दी जाने वाली बिजली को दस पैसे प्रति यूनिट की दर से बढ़ाया था। इसके बावजूद बोर्ड को 2019-20 में 487.88 करोड़ का घाटा हुआ है। ऐसे में बोर्ड ने 2020-21 के लिए 6000.52 करोड़ के वार्षिक राजस्व जरूरत का प्रस्ताव आयोग को भेजा है। साल 2017-18 और 2018-19 में घरेलू बिजली की दरें नहीं बढ़ाई थीं। साल 2016 में घरेलू बिजली साढ़े तीन फीसदी महंगी हुई थी।

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