झारखंड की पाटकर, सोहराय, कोहबर आदि मशहूर चित्रकलाओं को अब मास्क के जरिये नया बाजार मिलेगा। लॉकडाउन व कोरोना ने बाजार व रोजी-रोजगार का नुकसान तो बहुत किया है पर अब लोग इन्हीं परिस्थितियों में अपनी राह तलाश रहे हैं। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए सुरक्षा कवच के रूप में मास्क कारगर साबित हुआ है। मास्क ने कई लोगों को रोजगार भी दिया है। पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़ की प्रख्यात पाटकर पेंटिंग को अब मास्क पर उकेरने की योजना बन रही है। कला मंदिर जमशेदपुर के अमिताभ घोष ने बताया कि इससे यहां के स्थानीय कलाकारों को न सिर्फ आर्थिक लाभ होगा बल्कि इनके हूनर से भी बाहर के लोग वाकिफ होंगे। उन्होंने बताया कि मास्क की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा। पाटकार पेंटिंग में विभिन्न फूल-पत्तों से बने प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता है। धालभूमगढ़ के अमाडुबी में पाटकर पेंटिंग करने वाले ढेर सारे कलाकार हैं।

अमिताभ घोष ने बताया कि प्रयोग के तौर पर जमशेदपुर में ऐसे मास्क तैयार किए गए हैं जिन पर पाटकर पेंटिंग की गई है। वह लोगों को बहुत पसंद आ रही है। मास्क में उपयोग होने वाला कपड़ा उच्च गुणवत्ता युक्त होगा। इसके लिए अमाडुबी के चित्रकारों के साथ जल्द ही बैठक कर चर्चा की जाएगी। कला मंदिर उन्हें मास्क बनाकर देगा जिस पर वह पाटकर पेंटिंग बनाएंगे तथा खुद ही बेच कर अपना रोजगार बढ़ाएंगे।
यह झारखंड में एक अभिनव प्रयोग होगा। इससे एक ओर जहां झारखंड की लोककला को बढ़ावा मिलेगा वहीं दूसरी ओर इससे जुड़े हुए कलाकारों को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार कोहबर एवं सोहराय चित्रकलाओं से तैयार मास्क भी बाजार में लाने की योजना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here