गोवा के रेलवे स्टेशन पर झारखंड लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों (मछुआरों) की भीड़ उमड़ने के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। आनन-फानन में सात बजे शाम को खुलने के लिए निर्धारित श्रमिक स्पेशल ट्रेन को आधा घंटा पहले 6:30 बजे रवाना करने का आरोप लगाया गया है। इस संबंध में नेशनल फिशर वर्कर्स फोरम ने देर रात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर करीब एक हजार झारखंड के श्रमिकों के फंसे होने की जानकारी देकर इनकी वापसी कराने के लिए मदद मांगी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस संबंध में जरूरी कदम उठाने का निर्देश दे दिया है। उन्होंने जरूरत पड़ी तो फंसे हुए श्रमिकों को एयरलिफ्ट कराने की व्यवस्था करने को कहा है।

झारखंड सरकार के साथ प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी के लिए गोवा से समन्वय कर रहे जॉन ने हिंदुस्तान को फोन पर बताया कि स्टेशन पर ढाई हजार से अधिक श्रमिक पहुंच गए थे। चुकी गृह मंत्रालय के प्रोटोकॉल के मुताबिक अधिकतम 1500 श्रमिकों को ही ट्रेन में सवार होने दिया जा सकता था। इसलिए करीब 1000 श्रमिक ट्रेन में सवार नहीं हो पाए  अफरा-तफरी का माहौल बना और पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा।

मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में बताया गया है कि झारखंड के मछुवारों को एक महीने का वेतन भी नहीं मिला है और अब मानसून शुरू होने के कारण उनके लिए शिविर की व्यवस्था भी नहीं है। श्रमिक अपने बूते लौटनेे की स्थिति में नहीं हैं। क्योंकि अब श्रमिक स्पेशल ट्रेन की जगह कोंकण रेलवे यात्री ट्रेन  चलाएगी और उसमें आरक्षण की उपलब्धता एक बड़ी समस्या दिख रही है। श्रमिकों को मानसून के दौरान काम बंद होने की वजह से अब अगले सीजन में काम मिल पाएगा। ऐसे में उन्हें बस से वापस जाने की सलाह दी जा रही है। मुख्यमंत्री को बताया गया है कि ज्यादातर श्रमिकों को वेतन नहीं मिलने के कारण पैसे की दिक्कत है और बस से लौटने का किराया कम से कम छह से सात हज़ार रुपये  प्रति व्यक्ति मांगा जा रहा है।

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