भारतीय रेलवे लाखों प्रवासी मजदूरों को अलग-अलग ट्रेनों से उनके घर भेज चुका है लेकिन मुंबई में लोकमान्य तिलक टर्मिनस के बाहर शनिवार को बड़ी संख्या में लोगों की कतार लगी, जो अपने गृह राज्य जाने के लिए ‘श्रमिक’ विशेष ट्रेनों में सवार हुए।

लोकमान्य तिलक टर्मिनस के बाहर इंतजार करने पर प्रवासी मजदूरों ने मास्क पहना था और सामाजिक दूरी बनाए रखने का पालन कर रहे थे।  कोरोनो वायरस लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों, छात्रों, पर्यटकों को उनके मूल शहर में पहुंचने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति के बाद रेलवे स्पेशल ट्रेनें चला रहा है।

गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि प्रवासी मजूदरों की तकलीफों को देखकर सरकार को पीड़ा हुई और ऐसे में पूरी तरह से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया कि उनको यात्रा के दौरान और अपने गृह राज्य पहुंचने के बाद किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े। साथ ही कहा कि अब तक एक करोड़ लोगों को उनके घर वापस पहुंचाया गया है।

लॉकडाउन के दौरान हजारों प्रवासी मजदूरों के पैदल ही अपने गृह राज्य की ओर निकलने को मजबूर होने और पहुंचने के लिए असुरक्षित परिवहन के साधनों का इस्तेमाल करने के मामले सामने आए थे, जिसके बाद मोदी सरकार पर प्रवासी मजूदरों के मामले को संभालने में विफल रहने के आरोप लग रहे थे। इन आलोचनाओं के बाद शाह का यह बयान सामने आया है।

किसी दल अथवा नेता का नाम लिए बिना ही शाह ने दावा किया कि जो विपक्षी नेता लॉकडाउन को ‘अनियोजित’ करार दे रहे हैं, उनका नजरिया पक्षपाती है।  उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से विस्तृत व्यवस्थाएं की गई हैं।

प्रवासी मजदूरों के मसले पर आज तक न्यूज चैनल पर गृह मंत्री ने कहा कि उन सबको जो तकलीफ हुई, उसका दर्द हमें भी है। इसका मतलब ये नहीं है कि कोई इंतजाम नहीं किए गए। शाह ने कहा कि अब तक लगभग एक करोड़ लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है। इनमें से लगभग 54 लाख लोगों को रेल के जरिए और 41 लाख को बस के जरिए पहुंचाया गया है।

उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहना चाहता कि किसी ने कोई दिक्कत नहीं झेली लेकिन जिन्होंने भी परेशानी का सामना किया, प्रधानमंत्री, मैं और मेरे दल के सभी नेताओं को उनसे सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि सभी राज्य और केंद्र सरकार मिलकर कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहे हैं और हम जल्द ही इससे उबर जाएंगे।

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