उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में डॉक्टरों की संवेदनहीनता मासूम की जिंदगी पर भारी पड़ गई। परिजनों का आरोप है कि बुखार पीड़ित बच्चा तड़पकर मर गया पर इलाज नहीं किया गया। गुहार करने पर इलाज की कवायद शुरू की पर तब तक देर हो चुकी थी। आधे घंटे में बच्चे ने दम तोड़ दिया। रोता-बिलखता पिता लाडले का शव गोद में लेकर चिल्लाता रहा कि डॉक्टरों ने इलाज किया होता शायद बेटा जिंदा होता।

सदर ब्लॉक के मिश्रीपुर गांव निवासी प्रेमचंद के चार वर्षीय बेटे अनुज को कई दिन से बुखार आ रहा था। रविवार शाम प्रेमचंद उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। उनका आरोप है कि डॉक्टर इलाज करने की बजाए उसे कानपुर ले जाने का दबाव बनाने लगे, जबकि बच्चे की हालत ऐसी नहीं थी कि उसे इतनी दूर ले जाया जा सके। काफी मिन्नतों के बाद अनुज को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और देखते ही देखते सांसें थम गईं। डॉक्टरों के जैसे ही अनुज के मृत होने की बात कही तो प्रेमचंद बदहवास हो गए। जमीन पर सिर पकड़कर रोने लगे। बच्चे की लाश सीने से चिपकाकर वार्ड से बाहर निकले और चीखने लगे। उन्हें रोते देख हर किसी की आंखें नम हो गईं।

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बच्चे को नाजुक हालत में अस्पताल लाया गया था। इलाज शुरू कर उसे बचाने की कोशिश की गई। बालरोग विशेषज्ञ डॉ. पीएम यादव ने इलाज शुरू किया था। इस बीच परिजनों को उसे कानपुर ले जाने की सलाह भी दी गई। हालांकि बच्चे की हालत ऐसी नहीं थी कि उसे रेफर करने से कोई फायदा होता, किसी भी तरह की लापरवाही की बात सरासर गलत है। -डॉ. कृष्ण स्वरूप, सीएमओ कन्नौज

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