झांसी। लॉकडाउन के 47 वें दिन रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की हलचल शुरू हो गई। सोमवार की रात नई दिल्ली से बिलासपुर जा रही पहली स्पेशल ट्रेन झांसी आई। इस ट्रेन से 230 यात्री झांसी में उतरे व 74 सवार हुए। एक यात्री का तापमान अधिक होने के कारण उसे सफर करने की अनुमति नहीं दी गई। रात में एक बजे दूसरी स्पेशल ट्रेन आई। अपने शहर पहुंचकर पर लोगों ने राहत की सांस ली। कहा, एक-एक दिन काटना मुश्किल हो रहा था।

रेलवे ने सोमवार से अप और डाउन की तीस सवारी ट्रेनों का संचालन नई दिल्ली स्टेशन से शुरू कर दिया। इनमें चार ट्रेनों को झांसी से होकर गुजरना हैं, जिनको यहां पांच मिनट का ठहराव दिया गया है। ये ट्रेनें नई दिल्ली से चेन्नई सेंट्रल, नई दिल्ली से बिलासपुर, नई दिल्ली से सिकंदराबाद और नई दिल्ली से बंगलूरू के बीच चल रही हैं। सोमवार को पहली ट्रेन प्लेटफार्म तीन पर नई दिल्ली से बिलासपुर जाने वाली 02442 रात 8.40 बजे आई और 9:05 पर रवाना हुई। यह ट्रेन अपने निर्धारित समय से पंद्रह मिनट पहले ही झांसी आ गई। इस ट्रेन से 230 यात्री उतरे, जो नई दिल्ली से झांसी के लिए सफर कर रहे थे। झांसी से 78 यात्रियों के आरक्षण थे, लेकिन सफर करने के लिए 75 ही पहुंचे। इनमें भी एक यात्री को तापमान अधिक होने पर सफर करने की अनुमित नहीं दी गई। दिल्ली से आए यात्रियों की मुख्य द्वार पर थर्मल स्कीनिंग की गई। यात्रियों को पुराने आरक्षण कार्यालय के गेट से बाहर निकाला गया। इस दौरान आरपीएफ, जीआरपी व टिकट चेकिंग स्टाफ मौजूद रहा।

वाहन के लिए होते रहे परेशान
स्पेशल ट्रेन से उतरे यात्रियों में कई को टीकमगढ़, छतरपुर, बांदा, महोबा, गुरसराय, मऊरानीपुर, बरुआसागर समेत झांसी महानगर के अलग- अलग जगह जाना था, लेकिन स्टेशन के बाहर वाहन न चलने के कारण यात्री परेशान होते रहे। वे मुश्किल में थे कि दिल्ली से झांसी तक तो आ गए अब घर कैसे पहुंचेेंगे।

हंसारी निवासी वर्षा नई दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी करती हैं। उनकी सहेली गौरी दिल्ली में पढ़ाई कर रही है। दोनों स्पेशल ट्रेन से सोमवार की रात झांसी आ गई। झांसी आने पर उनका कहना था कि अपने शहर पहुंच कर राहत मिली है। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में एक- एक दिन काटना मुश्किल हो रहा था।

टीकमगढ़ के रहने वाले मोहन लाल कुशवाहा नई दिल्ली में एक ठेकेदार के अधीन काम करते हैं। पिछले 50 दिन से काम बंद होने के कारण वे आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। पत्नी रामश्री के साथ झांसी आने पर उन्होंने बताया कि कई दिन दाल चावल खाकर ही गुजारने पड़े।

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