दुबई से शुक्रवार की रात बनारस पहुंचे प्रवासियों को अपने देश में आते ही मुसीबतों का सामना करना पड़ा। न होटलों में रहने के लिए जेब में पैसे थे, न होम जिलों तक जाने के लिए टैक्सी या बस का किराया था। हाथों पर होम क्वारंटीन की मुहर तो लग गई लेकिन घरों तक पहुंचाने का कोई इंतजाम नहीं था।एयरपोर्ट पर ही घंटों हंगामा चलता रहा। लेकिन अधिकारियों ने किसी तरह की मदद से हाथ खड़े कर दिये। आधी रात के बाद 189 में से सौ से ज्यादा प्रवासियों को एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन लाकर छोड़ दिया गया।

दुबई से शुक्रवार की रात करीब नौ बजे प्रवासियों को लेकर विमान बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचा। इसमें वाराणसी के दो यात्रियों समेत पूर्वांचल के अलग अलग जिलों के करीब सौ लोग थे। तीस यात्री बिहार, दो उत्तराखंड और कई यात्री पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थे। एक यात्री महाराष्ट्र के पुणे का भी था। पहले यह कहा गया था कि लंदन से आने वाले यात्रियों की तरह इन्हें भी शहर के ही होटलों में सात दिनों तक क्वारंटीन किया जाएगा। इसके लिए कुछ होटलों को भी रिजर्व किया गया था।

यात्रियों के विमान से उतरने के बाद पता चला कि ज्यादातर के पास होटलों में रहने के लिए पैसे ही नहीं हैं। ऐसे में सभी के हाथों पर होम क्वारंटीन की मुहर लगाई गई और घर जाने की छूट देते हुए 14 दिनों तक घर पर ही रहने की नसीहत दी गई। यात्री एयरपोर्ट के बाहर निकले तो पता चला कि घर तक बसों से किराया देकर जाना है। इसके बाद हो हल्ला शुरू हुआ।

प्रवासियों ने कहा कि दुबई में कंपनी वालों ने बनारस तक का टिकट कटवाया। दुबई की सरकार ने करीब दो महीने तक मुफ्त में रहने और खाने का इंतजाम किया और एयरपोर्ट तक मुफ्त में सभी को पहुंचाया। अब अपने ही देश में आने के बाद घर तक जाने के लिए 15 सौ से दो हजार रुपया मांगा जा रहा है। जबकि हम लोगों की जेब पूरी तरह खाली है। अधिकारियों पर वसूली का आरोप लगाते हुए घंटों हंगामा चलता रहा।

इसके बाद भी अधिकारी कुछ नहीं कर सके। जिन लोगों के पास कुछ पैसा था, उन लोगों ने चंदा जुटाकर टैक्सी की। कुछ लोगों ने मजबूरी में किराया देकर बसों का सहारा लिया। इसके बाद भी आधे से ज्यादा लोगों के पास न तो टैक्सी का भाड़ा था न बस का टिकट लेने के लिए रुपये थे। अधिकारियों ने इन लोगों को एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन चलने के लिए समझाया। कहा कि वहां ट्रेनों से आ रहे प्रवासियों को छोड़ने के लिए रोडवेज की बसें लगाई गई हैं। उन्हीं बसों से इंतजाम हो जाएगा। इसके बाद रात करीब डेढ़ बजे अलग अलग बसों से सौ से ज्यादा प्रवासियों को एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन लाकर छोड़ दिया गया।

वाराणसी के प्रवासी नवोदय विद्यालय भेजे गए  

दुबई से आए विमान में वाराणसी के दो प्रवासी थे। दोनों के पास भी होटल में रहने के पैसे नहीं थे। इस पर अधिकारियों ने दोनों को नवोदय विद्यालय में बने क्वारंटीन सेंटर भेज दिया। यहां 14 दिन रहने के बाद इन लोगों को घर भेजा जाएगा।

अपने-अपने शहर के होटलों में रहना था: नोडल अफसर

यात्रियों की व्यवस्था के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए एडीएम प्रोटोकाल के अनुसार यात्रियों को अपने अपने जिलों के होटलों में ही रहना था। इसके लिए संबंधित जिलों के अधिकारियों को सूचना दे दी गई थी। एडीएम ने कहा कि पहले से यह नहीं पता था कि दुबई से आ रहे लोगों में कितने किस जिले के हैं। इस वजह से बनारस के होटलों को रिजर्व करके हर तरह की तैयारी की गई थी। 25 मई को जैसे ही हमें जिलावार यात्रियों की सूची मिली, संबंधित जिलों के अधिकारियों को इस बारे में बता दिया गया। हमें पहले से यात्रियों की आर्थिक स्थिति का नहीं पता था। यहां पहुंचने पर कुछ लोग टैक्सी और कुछ लोग बसों से किराया देकर अपने अपने जिलों में चले गए हैं। जिन लोगों के पास टैक्सी या बस का किराया नहीं था उन्हें रेलवे स्टेशन पहुंचा दिया गया है।

बस अड्डे जैसा दिखा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नजारा

दुबई से 189 यात्रियों को लेकर विमान के बाबतपुर पहुंचने पर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नजारा किसी बस अड्डे जैसा नजर आया। कोरोना की महामारी के बीच भी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखाई दी। यात्रियों को यहां आते ही खाने का पैकेट दिया गया था। हाथों में पैकेट लिये कोई जमीन में बैठकर खा रहा था तो कोई जहां था वहीं पर पैकेट खोलकर खाते नजर आया। इस दौरान न तो किसी ने इन्हें टोका और न ही सुरक्षा में तैनात जवानों ने इन्हें रोकने की कोशिश की।

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