प्रयागराज। नोएडा के अस्पतालों द्वारा इलाज से इन्कार की वजह से गर्भवती महिला की एम्बुलेंस में मौत के बाद दाखिल हुई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना का टेस्ट कराए जाने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार से पूछा है सूबे में अभी कोरोना के टेस्ट के क्या इंतजाम किये गए हैं. रिपोर्ट आने में औसतन कितना वक्त लगता है. ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच हो सके. जांच पर कम से कम खर्च आए और टेस्ट रिपोर्ट जल्द आए, इसके लिए क्या इंतजाम किये गए हैं. हाईकोर्ट ने यह भी पूछा है कि जो प्राइवेट अस्पताल ट्रू नाट मशीनें लगाकर कम खर्च पर कोरोना की जांच करना चाहते हैं, उन्हें इजाजत देने में क्या दिक्कत है।

यह आदेश जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील विशाल तलवार व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है. अदालत ने यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की मोहलत दी है. अदालत इस मामले में 3 जुलाई को फिर से सुनवाई करेगी. नोएडा में गर्भवती महिला की मौत के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कोरोना की वजह से प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों में बंद चल रही ओपीडी को खोले जाने की मांग की गई थी. उस मामले में हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब-तलब किया था।

हाईकोर्ट द्वारा जवाब मांगे जाने के बाद सरकार ने शर्तों के साथ ओपीडी चलाए जाने की मंजूरी दे दी. हाईकोर्ट में शुक्रवार को यूपी सरकार ने बताया कि दो राउंड में ज्यादातर अस्पतालों की ओपीडी खोले जाने की मंजूरी दे दी गई है. तीसरे फेज में सभी ओपीडी चालू कर दी जाएंगी. इसके बाद याचिकाकर्ता विशाल तलवार, विनायक मिश्रा और ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने प्राइवेट अस्पतालों में अब कोरोना टेस्ट की इजाजत दिए जाने की भी मांग की. दलील यह दी गई कि सरकारी लैब की रिपोर्ट 3 दिन में आती है. ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में आने वाले मरीजों का न तो ऑपरेशन हो पाता है न ही गंभीर मरीजों का इलाज. अगर प्राइवेट अस्पतालों में ट्रू नाट मशीनों से रैपिड जांच की अनुमति दे दी जाए तो ज्यादा से ज्यादा मामले सामने आ जाएंगे और कम खर्च व कम वक्त में रिपोर्ट भी आ जाएगी।

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