कानपुर के बहुचर्चित संजीत अपहरण और हत्याकांड में परिवार वालों का धैर्य जवाब दे जवाब दे गया। शुक्रवार सुबह पुलिस को चकमा देकर संजीत के परिजन सैकड़ों लोगों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने पैदल मार्च करते हुए लखनऊ के लिए निकल पड़े। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो वह नहीं रुके। इस दौरान संजीत के परिजनों की पुलिस से तीखी झड़प हो गई।

इसी बीच, वहां से गुजर रहे ट्रक के आगे रुचि और उसकी मां कुसमा लेट गईं। वहीं, संजीत के पिता एसपी साउथ दीपक भूकर के सामने गमछे से अपना गला कसने का प्रयास किया। किसी तरह पुलिस ने ट्रक को रुकवाया और दोनों ओर से बेरीकेडिंग लगाकर वाहन खड़े करवा दिए। इसके बाद हाईवे पर लंबा जाम लगा गया।

बता दें कि शुक्रवार सुबह संजीव के पिता चमनलाल, मां कुसमा देवी बहन रुचि, चाचा कश्मीर सिंह के साथ पुलिस को चकमा देकर घर से निकल गए। इसके बाद सामाजिक संस्था ऑपरेशन विजय व सैकड़ों लोग अन्य परिजनों के साथ बड़ागांव से होते हुए बर्रा हाईवे पर पहुंचे। इस दौरान लोग अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए थे जिनमें संजीत का शव बरामद करो, पुलिस प्रशासन होश में आओ और संजीत के परिवार को न्याय दो जैसे स्लोगन लिखे हुए थे। हाईवे पर करीब 250 लोगों के पैदल मार्च के चलते वाहनों की लंबी कतारें लग गई।

इस दौरान सीओ गोविंद नगर सर्किल फोर्स के साथ पहुंचे और परिजनों को बर्रा बाईपास पर रोकने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं रुके इस दौरान उनके परिजनों से झड़प भी हुई। बहन रुचि का कहना है कि पुलिस ना तो अब तक संजीव का शव बरामद कर चुकी है और ना ही सीबीआई जांच शुरू हुई है।

एसीएम ने दो दिन में सीएम से मुलाकात कराने का दिया आश्वासन
संजीत यादव के परिजनों ने एसीएम प्रथम को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया। संजीत के पिता चमनलाल ने बताया कि एसीएम ने उन्हें दो दिन के अंदर मुख्यमंत्री से मुलाकात कराने का आश्वासन दिया है। लिखित आश्वासन मिलने के बाद परिजनों ने लखनऊ मार्च और प्रदर्शन खत्म किया।

अब तक क्या हुआ
आपको बता दें कि बीते 22 जून को अपहृत लैब टेक्नीशियन संजीत यादव की फिरौती देने के बावजूद अपहरणकर्ताओं में हत्या कर दी थी। पुलिस ने मामले में एक महिला समेत छह लोगों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन अब तक न तो संजीव का शव बरामद हुआ और न ही उसका बैग मोबाइल या अन्य कोई सामान। 2 अगस्त को परिजनों ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर शास्त्री चौक पर धरना दिया तो शासन से वार्ता कर डीएम ने परिजनों को सीबीआई जांच का आश्वासन दिया। इतने दिन बीतने के बाद भी जांच शुरू न होने पर परिजनों का धैर्य जवाब दे गया।

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