उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिला अस्पताल में सोमवार देर शाम गंभीर हालत में लाए गए डुमरियागंज क्षेत्र के एक युवक की देर रात मौत हो गई। पिता का आरोप है कि अस्पताल में मौजूद इमरजेंसी मेडिकल अफसर ने युवक को भर्ती करने से इनकार कर दिया।

यहां तक कि उसकी जीवन रक्षा के लिए ऑक्सीजन भी नहीं दी गई। शिकायत करने पर सीएमओ डॉ. सीमा राय खुद मौके पर पहुंचीं तो उन्होंने अपने कार्यालय का ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध कराया। आरोप है कि चार घंटे तक इलाज नहीं मिलने से युवक की तड़प-तड़प कर मौत हो गई।

डुमरियागंज क्षेत्र के एक गांव निवासी युवक को कोरोना संदिग्ध होने की आशंका पर सोमवार शाम बेवां सीएचसी से जिला अस्पताल रेफर किया गया था। पिता का आरोप है कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने बेटे को न तो भर्ती किया और न ही इलाज किया। इस पर उन्होंने भाजपा कार्यकर्ता राजन द्विवेदी को फोन कर मदद मांगी।

सीएमओ ने भिजवाया ऑक्सीजन सिलिंडर
अस्पताल पहुंचे राजन द्विवेदी ने ईएमओ डॉ. शैलेंद्र से मरीज देखने का अनुरोध किया। आरोप है कि ईएमओ ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए मरीज का इलाज नहीं किया। भर्ती करने को कहा गया तो बोले कि जाओ पहले डीएम से पत्र लिखवा कर लाओ। इस दौरान युवक की सांसें उखड़ने लगीं। राजन ने सीएमओ डॉ. सीमा राय को कई बार फोन कर मदद मांगी। आखिर में वह खुद ही मौके पर पहुंचीं।

मरीज की हालत देख उन्होंने तुरंत ऑक्सीजन लगाने को कहा। पता चला कि सिलिंडर जिस कमरे में रखा है उसकी चाबी लेकर ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी भवनाथ नारायण गायब है। इस पर सीएमओ ने अपने कार्यालय से सिलिंडर मंगवा कर मरीज को ऑक्सीजन दी। इलाज करने का निर्देश देकर सीएमओ चली गईं।

आरोप है कि ड्यूटी पर मौजूद मेडिकल स्टाफ ने युवक को स्ट्रेचर पर ही रखा, भर्ती नहीं किया। परिजन इलाज की गुहार लगाते रहे लेकिन एक दो इंजेक्शन लगाने के बाद चिकत्सकों ने उनकी बात सुननी बंद कर दी। रात साढ़े दस बजे के बाद रामू की हालत बिगड़ी तो आनन -फानन बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। आरोप है कि एंबुलेंसकर्मियों ने भी अभद्रता की। इससे पहले कि युवक को ले जाया जाता, उसकी सांसें थम गईं।

सिद्धार्थनगर सीएमओ डॉ. सीमा राय ने कहा कि युवक को बांसी स्वास्थ्य केंद्र से रेफर किया गया था, उसमें कोरोना के लक्षण दिख रहे थे। उसे ऑक्सीजन नहीं लगाई गई थी, मैं पहुंची तो ऑक्सीजन लगवाई। सैंपल लेने के साथ ही उसे एएलएस एंबुलेंस से बीआरडी मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा था, लेकिन उसकी मृत्यु हो गई। युवक कोरोना संक्रमित था या नहीं इसकी पुष्टि रिपोर्ट आने पर होगी।

अधिकारियों ने क्या कहा
जिला अस्पताल ईएमओ डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि इमरजेंसी में मात्र दो बेड हैं लिहाजा युवक को स्ट्रेचर पर ही रखा गया था, इलाज नहीं दिए जाने का आरोप गलत है। युवक में कोरोना के लक्षण थे इसलिए प्राथमिक उपचार देने के बाद उसे रेफर कर दिया गया था। इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई।

जिला अस्पताल फार्मासिस्ट भवनाथ नारायण ने कहा कि डॉक्टर ने जो भी इलाज पर्चे पर लिखा था वह दिया, मरीज पर्चे में ऑक्सीजन लगाने को नहीं लिखा था इसलिए नहीं लगाया। परिजनों के आरोप गलत हैं, जो इलाज बताया गया उससे ज्यादा मैं नहीं दे सकता था।

मुंबई से लौटा था युवक
बताया जा रहा है कि युवक 15 मई को मुंबई से गांव लौटा था। संत थॉमस स्कूल हल्लौर में थर्मल स्क्रीनिंग के बाद उसे होम क्वारंटीन किया गया था। छह जून को तबीयत खराब होने पर भारतभारी के निजी अस्पताल में उसका इलाज कराया गया। हालत खराब होने पर आठ जून को बस्ती के निजी अस्पताल ले गए लेकिन वहां से जवाब दे दिया गया।

शाम को युवक की सांसें उखड़ने लगीं तो परिजन उसे बेवां सीएचसी को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची स्वास्थ्य टीम को युवक में कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखे तो उसे एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेजा गया। देर रात उसकी मौत हो गई। सोमवार भोर पहर ही एसडीएम डुमरियागंज त्रिभुवन की देख रेख में परिजनों ने युवक के शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

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