नैनीताल जिले का मुक्तेश्वर क्षेत्र एक बार फिर अपने सेब बागानों के साथ देश और दुनिया के फलक पर छाने को तैयार हो चुका है। रामगढ़ में लॉकडाउन के बीच लौटे एक परिवार ने यहां एक हजार सेब के पौधे लगाकर बागान तैयार कर दिया है।
इसमें घर परिवार के युवाओं के साथ क्षेत्र के बेरोजगार भी जुड़कर इसे संवारने में जुटे हैं। रामगढ़ के सेब की डिमांड प्रदेश ही नहीं पूरे देश में रही है। मगर बीते तीन दशकों में यहां पलायन और प्रोत्साहन की कमी से 50 फीसदी तक उत्पादन गिर गया है।
मगर लॉकडाउन के बाद पहाड़ को उसकी जवानी और खेतों को दोबारा रौनक मिली। रामगढ़ के देवेंद्र बिष्ट का परिवार गांव पहुंचा तो बेटी योगिता और नीमा ने परिवार के साथ मिलकर दशकों से बंजर सेब के बागान फिर संवारने का मन बनाया।
काम शुरू करते हुए एक माह के अंदर एक हजार पौधे लगाकर दो बीघा जमीन आबाद कर डाली। बिष्ट परिवार के मुताबिक सेब बागान तैयार करना शानदार अनुभव रहा।
बागवानी तैयार करने में लगभग दो लाख का खर्चा आया। विभागीय स्तर पर पौधे मुहैया कराने तथा अन्य व्यवस्थाओं की मदद की गई। परिवार के पांच सदस्यों के साथ रहने और एकजुटता से काम करने का बेहतरीन मौका मिला है।
सेब बागान तैयार होने में लग जाते हैं महीनों
लोगों की मानें तो सेब का बगीचा तैयार करने में कई माह लगता है। लगातार मजदूरों के सहयोग से सेब बागान तैयार किये जाते हैं, लेकिन इस बार बगैर मजदूरों की मदद के परिवारिक सदस्यों ने पौध रोपकर शानदार काम किया है।
लॉकडाउन बन गया सुनहरा पल
देवेंद्र बिष्ट ने बताया कि लॉकडाउन उनके लिए सुनहरे पल जैसा रहा है। इसे परिवार एक साथ होने की अनुभूति भी जागृत हुई है। यही कारण है कि बच्चों ने माता-पिता का साथ देकर पूर्वजों के सपने को दोबारा जिंदगी दे दी।
मुक्तेश्वर क्षेत्र में एक परिवार ने सघन बागवानी के तहत बेहतर प्रजाति के एक हजार सेब रोपकर बगीचा तैयार किया है। अच्छी तकनीकी और मेहनत से बागवानी का सफल परिणाम सामने आया है। यह अच्छी पहल है और इस काम से दूसरे किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है।
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