अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार लगातार कर्ज की मांग बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए आरबीआई ने रेपो रेट दो दशक में सबसे कम कर दिया, ताकि लोगों को सस्ता कर्ज मिल सके। यह मेहनत रंग भी लाई और खुदरा कर्ज की मांग बढ़ने लगी है, लेकिन बैंक और एनबीएफसी पैसा डूबने के डर से नए कर्ज देने से कतरा रहे हैं।
सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई और निजी बैंक एचडीएफसी ने पिछले दिनों कहा था कि खुदरा कर्ज की मांग लगातार बढ़ रही है। वित्तीय सेवा फर्म माईमनीमंत्रा के अनुसार, खासकर पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड की मांग में इजाफा हुआ है। बैंकों के पास भी नकदी की कोई कमी नहीं है।
बावजूद इसके कर्ज बांटने में कोताही बरती जा रही है। इसका कारण है वर्तमान वित्तीय अनिश्चितता, जहां कर्ज बांटना पहले की तरह आसान नहीं रहा है। बैंक भी उन्हीं ग्राहकों को कर्ज दे रहे हैं, जिनका डाटा उपलब्ध है और ईएमआई में रियायत के चलते वास्तविक डाटा पाना अभी संभव नहीं है।
कुछ महीने रह सकती है यही स्थिति
कर्ज लेने में ऑनलाइन मदद करने वाली फर्म पैसाबाजार डॉटकॉम के सीईओ नवीन कुकरेजा का कहना है कि अगले कुछ महीने तक यही स्थिति रहने वाली है। बैंक और एनबीएफसी न सिर्फ अभी कर्ज बांटने में कोताही बरत रहे, बल्कि ईएमआई रियायत का दौर खत्म होने के बाद भी कुछ महीने तक ग्राहकों के कर्ज भुगतान का आकलन करेंगे।
अभी बैंकों को जोखिम दिखने का सीधा मतलब है कि कर्ज देने के नियमों में सख्ती आना। नया लोन पास करने से पहले कर्जदाता यह भी देख रहे हैं कि जिस कंपनी में ग्राहक काम करता है, उसकी वित्तीय स्थिति कैसी है।